Delhi assembly elections: दिल्ली में भाजपा ने अपनी चुनावी तैयारियां तेज कर दी है। रायबरेली लोकसभा चुनाव में हार के बाद पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी की सक्रियता दिल्ली में बढ़ती दिखाई दे रही हैं। ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि आगामी विधानसभा चुनावों में स्मृति दिल्ली में भाजपा का चेहरा हो सकती हैं।
दिल्ली की राजनीति में महिला चेहरा भी काफी चला है। सुषमा स्वराज दिल्ली में 1998 में दिल्ली में मुख्यमंत्री बनी। इसके बाद शीला दीक्षित ने 1998 से 2013 तक दिल्ली की कमान संभाली। 2015 में भी भाजपा ने किरण बेदी के चेहरे पर दांव लगाया था। 2015 में भाजपा ने तेजतर्रार पुलिस अधिकारी रहीं किरण बेदी पर दांव लगाया था। हालांकि केजरीवाल के सामने भाजपा का यह दांव पूरी तरह फेल हो गया। 2020 में तो पार्टी ने किसी को भी मुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित नहीं किया था। 2013 में भाजपा मात्र 3 सीटें ही जीतने में सफल रही जबकि 2020 में पार्टी 8 सीटें ही हासिल कर सकी।
भाजपा के कई नेताओं और कार्यकर्ताओं का मानना है कि सुषमा स्वराज की तरह ही तेज तर्रार नेता मानी जाने वाली स्मृति केजरीवाल एंड पार्टी को कड़ी चुनौती दे सकती है। हालांकि सुषमा की बेटी और भाजपा सांसद बांसुरी स्वराज, मनोज तिवारी, वीरेंद्र सचदेवा समेत कई नेता भी खुद को दिल्ली में भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री पद का दावेदार हो सकते हैं।