8 मार्च को पूरी दुनिया में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पूरे धूमधाम के साथ मनाया जाता है। महिलाओं की सुरक्षा को लेकर कई तरह की बहस और चर्चाएं होती हैं, लेकिन क्या हकीकत में महिलाएं सुरक्षित हैं। शायद नहीं, हाल ही में महिलाओं को लेकर आई रिपोर्ट तो यही कहती है।
दरअसल ब्रेकथ्रू इंडिया ने एक सर्वे किया था। जिसमें 721 लोगों का ऑनलाइन सर्वे किया गया और 91 लोगों से इंटरव्यू के माध्यम से स्टडी की गई। जिसमें बिहार, हरियाणा, दिल्ली, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, झारखंड, तेलंगाना राज्यों के लोग शामिल थे। जिसमें अधिकांश महिलाओं ने हिंसा को एक व्यापक शब्द के रूप में पहचाना, जिसमें शारीरिक, मानसिक, मौखिक और यौन शोषण शामिल थे।
साल 2020 में उबर ने ग्लोबल ड्राइविंग चेंज कार्यक्रम के अन्तर्गत सार्वजनिक स्थानों को सुरक्षित बनाने के लिए ब्रेकथ्रू के साथ मिलकर यह स्टडी की थी। जिसके बाद ही ब्रेकथ्रू ने उबर के साथ मिल कर सार्वजनिक जगहों से लिंग आधारित हिंसा को समाप्त करने और बायस्टेंडर को हस्तक्षेप करने के लिए प्रेरित करने के लिए एक कैंपेन शुरू किया था। इस कैंपेन का नाम इग्नोर नो मोर था।
क्या खुलासा हुआ सर्वे में?
54.6 प्रतिशत लोगों ने कहा कि उन्होंने सार्वजनिक स्थान पर महिलाओं के खिलाफ हिंसा की घटना को रोकने में हस्तक्षेप किया है।
55.3 प्रतिशत लोगों ने हिंसा का सामना करने वाली महिलाओं की परेशानी देखी।
67.7 प्रतिशत ने कहा कि उनके हस्तक्षेप की वजह से हिंसा काबू में आई।
78.4 प्रतिशत महिलाओं ने कहा कि सार्वजनिक स्थानों पर उनके साथ हिंसा की घटनाएं हुई हैं।
68 प्रतिशत महिलाओं ने कहा कि सार्वजनिक परिवहन का इस्तेमाल करते हुए उनके साथ हिंसा हुई।
45.4 प्रतिशत लोगों ने कहा कि उनके सामने हो रही महिलाओं के खिलाफ हिंसा में उन्होंने कोई हस्तक्षेप नहीं किया।
31 प्रतिशत ने कहा कि वे अपनी सुरक्षा के बारे में चिंतित थे।
11.5 प्रतिशत को लगता है कि उन्हें पुलिस/ कानूनी मामलों में घसीटा जाएगा, इसलिए वे आगे नहीं आए।