ॐ जगदम्बिके दुर्गायै नमः इस मंत्र का जप करने से मनुष्य के अन्दर देवत्व का उदय होने लगता है तथा उसकी पूर्ण कुंडलिनी चेतना में स्पंदन होने लगता है। मनुष्य इस मंत्र का जितना जाप करता जाता है, उसकी चेतना उतनी ही जाग्रत् होती चली जाती है और वह प्रकृति की उतनी ही नजदीकी महसूस करने लगता है। अनुभूतियां बढ़ती जाती हैं।
2. यह पूर्ण उत्कीलित है। कोई भी व्यक्ति इसका जाप कर सकता है।
3. इसका जाप शुद्धता-अशुद्धता, किसी भी स्थिति में मानसिक रूप से किया जा सकता है।
5. इसका जाप एक आसन में बैठकर शुद्धता से करने पर कई गुना फल प्राप्त होता है।
6. इसका सवा लाख जप कर लेने पर इसकी ऊर्जा पूर्णता से कार्य करने लगती है।
8. इस मंत्र के 24 लाख के 24 अनुष्ठान पूर्ण करने पर यह पूर्ण सिद्ध हो जाता है। फिर किसी भी कार्य को सम्पन्न करने के लिए यदि मंत्र का जाप करके कामना की जाए, तो वह पूर्ण होता है। कई बार माता के दर्शन की झलकियां भी प्राप्त हो जाती हैं।