बाधाओं को झँझोड़ आपत्तियों का मुख मोड़ तू दृष्टिगोचर है तू बलशाली है बदल दे सहरो को तू गाउँ।
भटकाएँगे चौराहे पथ भ्रष्ट करें दोराहे निगाहों को मत डिगा पकड़ राह चलता चल मिले न जब तक ठाँव।
विवश का परिस्थितियों को सीमाओं को लाँघ काटता चल बँधन उन बंधनों को जो रोके हैं तेरे पाँव।
देख तेरी दृढ़ता को राह को भी राह देनी होगी तेरे अटूट विश्वास के आगे समय को भी मात खानी होगी तू कर ललाट ऊँचा समय से धर पाँव मिल जाएँगे तब तुझको तेरे सपनों के ठाँव।