डॉ. इयान वुल्फोर्ड और ऑस्ट्रेलिया इंडिया इंस्टिट्यूट के डायरेक्टर क्रेग जेफरी ने सबका स्वागत किया। भारत से प्रसिद्ध पत्रकार और लेखिका मृणाल पांडे, वाणी प्रकाशन की अदिति माहेश्वरी और हिंदी फिल्मों के लेखक व कॉमेडियन वरुण ग्रोवर ने हिस्सा लिया। कैनबरा से एएनयू के प्रोफ़ेसर रिचार्ड बार्ज़, सिडनी से माला मेहता, कुमुद मिरानी और रेखा राजवंशी को निमंत्रित किया गया था। मेलबर्न के दिनेश श्रीवास्तव, सुभाष शर्मा, पूर्णिमा पाटिल और अन्य हिंदी के विद्वानों ने भाग लिया।
पिछले सालों में ऑस्ट्रेलिया में राष्ट्रीय स्तर पर हिंदी की प्रगति हुई है। पाठ्यक्रम विकसित किया गया है। मेलबर्न और सिडनी के कुछ विद्यालयों में हिंदी पढ़ाई जाने लगी है। दो विश्वविद्यालयों में हिंदी की शिक्षा सुविधा प्रदान की जाती है- ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी कैनबेरा और ला ट्रोब युनिवर्सिटी मेलबर्न। डॉ. इयान वुल्फोर्ड ला ट्रोब यूनिवर्सिटी में पढ़ाते हैं और इस कार्यक्रम का आयोजन उन्हीं के अथक प्रयासों से किया गया था।
कार्यशाला में हिंदी के विविध पक्षों पर विचार-विमर्श हुआ। दिनेश श्रीवास्तव ने विक्टोरिया में हिंदी के विकास के बारे में बात की तो माला मेहता ने न्यू साउथ वेल्स के विद्यालयों में हिंदी की स्थिति के बारे में बात की। रेखा राजवंशी ने ऑस्ट्रेलिया में चल रही साहित्यिक गतिविधियों की चर्चा की और ऑस्ट्रेलिया के आदिवासी ड्रीम टाइम एमिमेशन फिल्म का हिंदी अनुवाद भी दिखाया।
भारत से आईं विशेष अतिथि वाणी प्रकाशन की अदिति माहेश्वरी ने अनुवाद से संबंधित विविध पहलुओं के बारे में बातचीत की। जानीमानी पत्रकार मृणाल पांडे ने कहा कि हिंदी के लेखन में पैसा नहीं है फिर भी हम लिखते जाते हैं कि शायद भविष्य में लोग इसे पढ़ें। उन्होंने भाषा के सरलीकरण का विरोध किया और कहा कि ज़रूरी है कि हम बच्चों को विविध व विस्तृत शब्द भंडार दें।