हरतालिका तीज व्रत इस साल 12 सितंबर को मनाया जा रहा है। इस दिन उमा महेश्वर यानी शिव पार्वती की विशेष पूजा की जाती है। उनसे अखंड सौभाग्य का वरदान मांगा जाता है। इसके पूजन की सामग्री भी विशेष होती है। प्रस्तुत है यहां पूजा सामग्री की सूची और प्रामाणिक विधि...
पूजा के लिए आवश्यक सामग्री :
* गीली काली मिट्टी या बालू रेत।
* बेलपत्र,
* शमी पत्र,
* केले का पत्ता,
* धतूरे का फल एवं फूल,
* अकांव का फूल,
* तुलसी,
* मंजरी,
* जनैऊ,
* नाड़ा,
* वस्त्र,
* सभी प्रकार के फल एवं फूल पत्ते,
* श्रीफल,
* कलश,
* अबीर,
* चंदन,
* घी-तेल,
* कपूर,
* कुमकुम,
* दीपक,
* फुलहरा (प्राकृतिक फूलों से सजा)।
* विशेष प्रकार की पत्तियां
पार्वती माता की सुहाग सामग्री :
* मेहंदी,
* चूड़ी,
* बिछिया,
* काजल,
* बिंदी,
* कुमकुम,
* सिंदूर,
* कंघी,
* महावर ,
* बाजार में उपलब्ध सुहाग पुड़ा आदि।
पंचामृत के लिए :
* घी,
* दही,
* शक्कर,
* दूध,
* शहद
हरतालिका तीज व्रत कैसे करें :-
* सर्वप्रथम 'उमामहेश्वरसायुज्य सिद्धये हरितालिका व्रतमहं करिष्ये'
मंत्र का संकल्प करके मकान को मंडल आदि से सुशोभित कर पूजा सामग्री एकत्र करें।
* हरतालिका पूजन प्रदोष काल में किया जाता हैं। प्रदोष काल अर्थात् दिन-रात के मिलने का समय।
स्नान करके शुद्ध व उज्ज्वल वस्त्र धारण करें।
तत्पश्चात पार्वती तथा शिव की सुवर्णयुक्त (यदि यह संभव न हो तो मिट्टी की) प्रतिमा बनाकर विधि-विधान से पूजा करें। बालू रेत अथवा काली मिट्टी से शिव-पार्वती एवं गणेशजी की प्रतिमा अपने हाथों से बनाएं।
फुलेरा बनाकर उसे सजाएं।
रंगोली डालकर उसपर पट्टा या चौकी रखें।
इसके बाद सुहाग की पिटारी में सुहाग की सारी सामग्री सजा कर रखें, पूजा के समय इन वस्तुओं को पार्वतीजी को अर्पित करें।
चौकी पर सातिया बनाएं और उस पर थाली रखें।
अब उस थाल में केले के पत्ते रखें।
शिव-पार्वती एवं गणेशजी की प्रतिमाओं को केले के पत्तों पर आसीन करें।
कलश पर श्रीफल रखकर मुख पर नाडा बांध दें।
उस पर स्वास्तिक बनाकर अक्षत चढ़ाएं और दीपक जलाएं।
कलश पूजन होने के बाद श्री गणेश का पूजन करें।
भगवान शिव का पूजन करें और फिर माता गौरी पर पूरा श्रृंगार चढ़ाकर उनका पूजन करें।
शिवजी को धोती तथा अंगोछा अर्पित करें और तपश्चात सुहाग सामग्री किसी ब्राह्मणी को तथा धोती-अंगोछा ब्राह्मण को दे दें।
इस प्रकार पार्वती तथा शिव का पूजन-आराधना कर हरतालिका व्रत कथा सुनें।
तत्पश्चात सर्वप्रथम गणेशजी की आरती, फिर शिवजी और फिर माता पार्वती की आरती करें। भगवान की परिक्रमा करें। रात्रि जागरण करके सुबह पूजा के बाद माता पार्वती को सिंदूर चढ़ाएं। ककड़ी-हलवे का भोग लगाएं, अंत में समस्त सामग्री को एकत्र कर पवित्र नदी या किसी कुंड में विसर्जित करें। ककड़ी खाकर उपवास का पारण किया जाता है।