Skanda sashti : उत्तर भारत में जहां छठ पूजा का पर्व मनाया जाता है जिसमें सूर्यदेव की पूजा के साथ ही छठ मैया की पूजा की जाती है वहीं दक्षिण भारत में इसी दिन सूरसम्हारम पर्व मनाया जाता है जिसमें भगवान कार्तिकेय की पूजा की जाती है। क्या है इस पर्व को मानाने की पीछे की कथा? आओ जानते हैं इस पर्व के बारे में खास बातें।
सूरसम्हारम 2022 : भगवान कार्तिकेय को दक्षिण भारत में मुरुगन और स्कंद कहा जाता है। इसीलिए षष्ठी तिथि को स्कंद षष्ठी के रूप में जाना जाता है। कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी को कन्न षष्ठी कहते हैं। यह तमिल हिन्दुओं का प्रमुख त्योहार है। इस पर्व की शुरुआत कार्तिक माह की शुक्ल प्रतिपदा तिथि से ही हो जाती है जिसका समापन षष्ठी के दिन होता है। यानी छह दिवसीय उपवास का पालन किया जाता है।
षष्ठी के दिन पर्व का समापन होता है जिसे सूरसम्हारम दिवस कहा जाता है। मान्यता है कि भगवान मुरुगन ने सूरसम्हारम के दिन असुर सुरपद्मन को युद्ध में पराजित किया था। इसलिए तभी से बुराई पर अच्छाई की विजय के संदेश के रूप में प्रतिवर्ष सूरसम्हारम का त्योहार मनाते हैं। सूरसम्हारम के अगले दिन थिरु कल्याणम मनाया जाता है। थिरुचेन्दुर मुरुगन मंदिर में कन्द षष्ठी का त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है।