विदाई का भावुक पल: महाकुंभ के बाद साधु-संत अलग-अलग स्थानों पर चले जाते हैं। इसलिए कढ़ी-पकौड़ी का भोज उनके लिए एक विदाई का अवसर होता है। इस भोज के दौरान साधु-संत एक-दूसरे को गले लगाते हैं और आंखों में आंसू आ जाते हैं। यह एक भावुक पल होता है जब वे एक-दूसरे से बिछड़ने का दुख महसूस करते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि कुंभ में मिलने के बाद यह तय नहीं होता है कि वे फिर कब आपस में मिलेंगे। जब कढ़ी-पकौड़ी बनने लगती है, तो सभी साधु एक-दूसरे से मिलते हैं और सुख-दुख साझा करते हैं।