संगम स्नान का महत्व (Significance of Sangam Bath)
एक पौराणिक मान्यता के अनुसार, मां गंगा भगवान शिव, मां यमुना भगवान विष्णु और मां सरस्वती ब्रह्म देव के अधीन हैं। इस प्रकार संगम पर तीनों नदियों का संगम त्रिदेवों की संयुक्त उपस्थिति का प्रतीक है।
शास्त्रों के अनुसार मनुष्य के शरीर का मन भगवान विष्णु, नेत्र भगवान शिव और बुद्धि ब्रह्मा हैं। ऐसे में त्रिदेवों की कृपा पाने और शरीर के तीनों हिस्सों में त्रिदेवों का वास बनाए रखने के लिए संगम में स्नान का विशेष महत्व है।
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ऐसा माना जाता है कि संगम में स्नान करने से शरीर के तीनों अंग न सिर्फ सांसारिक तौर पर बल्कि आध्यात्मिक तौर पर भी जागृत रहते हैं। यह स्नान व्यक्ति को सन्मार्ग की ओर ले जाते हुए मोक्ष प्राप्त कराता है। संगम स्नान से मन, शरीर और आत्मा की शुद्धि होती है। यह सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है और नकारात्मक विचारों को दूर करता है।
स्नान करते समय भगवान शिव, भगवान विष्णु और ब्रह्मा का ध्यान करना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि इन तीनों देवताओं का ध्यान करने से उनकी कृपा प्राप्त होती है। इसके साथ ही गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों का भी स्मरण करना चाहिए।
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