महाकुंभ में लाखों की नौकरी छोड़ साध्वी बनने पहुंची खूबसूरत एयरहोस्टेस, नाम है डिजा शर्मा, जानिए कौन हैं और कहां से आई हैं
Mahakumbh 2025: 144 साल बाद प्रयागराज में महाकुंभ का आयोजन हुआ है। मेले में रोज नहीं कहानी सामने आ रही है। कहीं IIT बाबा अभय सिंह की चर्चा है तो कहीं सुंदर साध्वी के रूप में फेमस हर्षा रिछारिया और माला बेचने वाली लड़की मोनालिसा। इन सभी के रील्स और वीडियो जमकर वायरल हो रहे हैं। इसी बीच कुंभ में अब एक नई साध्वी की एंट्री हो गई है। ये दिखने में बहुत ही खूबसूरत हैं। पेशे से एयर होस्टेस रह चुकी इस साध्वी का नाम डिजा शर्मा है। आइए आपको बताते हैं इनके बारे में पूरी जानकारी।
कौन हैं डिजा शर्मा
डिजा शर्मा पहले स्पाइसजेट कंपनी में एयर होस्टेस रह चुकी हैं। 6 महीने पहले उनकी मां के देहांत के बाद उनकी जिंदगी में एक बदलाव आया और उन्होंने आध्यात्म का रास्ता चुना। डिजा के अनुसार मां के गुजर जाने के बाद अब वे और उनके पिता ही परिवार में बचे हैं। पिता की मर्जी से ही वह प्रयागराज में आयोजित कुंभ में हिस्सा लेने आई हैं। लोग उन्हें साध्वी कह रहे हैं लेकिन उनका कहना है कि अभी वे साध्वी नहीं बनी हैं। डिजा की उम्र 29 साल है और वह एयर होस्टेस के रूप में लाखों रुपए कमा रही थीं।
लोग कह रहे हैं हर्षा रिछारिया की बहन
महाकुंभ में लोग उन्हें देखकर हर्षा रिछारिया की बहन कह रहे हैं। लोगों की इस टिप्पणी पर डिजा ने कहा कि ना वे हर्षा रिछारिया की बहन हूं और ना ही बनना चाहती हैं क्योंकि वह कोई इनफ्लुएंसर नहीं है। महाकुंभ में 31 साल की हर्षा रिछारिया ने खूब सुर्खियां बटोरीं। 31 साल की हर्षा रिछारिया उत्तराखंड से हैं और एक एंकर और मॉडल रह चुकी हैं। वह निरंजनी अखाड़े से जुड़ी हुई हैं। हर्षा रिछारिया को महाकुंभ में निरंजनी अखाड़े के रथ पर बैठाए जाने के बाद बहुत विवाद बढ़ा था और उनके वीडियो भी काफी वायरल हुए थे।
क्या कहना है डिजा शर्मा का अपने गेट अप को लेकर
डिजा शर्मा अपने महाकुंभ में अनोखा रूप धारण किया है। वे रुद्राक्ष की बहुत सारी मालाएं पहनती हैं। अपने इस गेट अप को लेकर उनका कहना है कि वे अपना गेटअप ऐसे ही रखती हैं और रुद्राक्ष पहनती हैं। जो भी रुद्राक्ष की माला वे पहनी है वह किसी महाराज से पूजा करवा कर ही पहनी हैं।
अध्यात्म की दिशा में क्यों बढ़ाया कदम
डिजा के अनुसार वे पहले एयर होस्टेस थीं और नौकरी को छोड़कर अभी रिसर्च कर रही हैं। 6 महीने पहले ही उनकी मां का निधन हुआ। मां की उम्र बहुत कम थी। इसके बाद उन्हें एहसास हुआ कि यदि कोई अपना साथ नहीं होगा तो इतनी कमाई का कोई फायदा नहीं। मां के देहांत के बाद उन्होंने आध्यात्म की राह पर आगे बढ़ने का मन बनाया।