1. गुरु की खोज, दीक्षा और संसार का त्याग:
अघोरी बनने के लिए व्यक्ति को पहले एक योग्य गुरु की तलाश करनी पड़ती है। गुरु अघोर परंपरा में दीक्षित और अनुभवी होते हैं। गुरु अपने शिष्य को साधना के नियम, मंत्र और अघोर मार्ग के सिद्धांत सिखाते हैं। अघोरी बनने के लिए साधक को परिवार, संपत्ति, और सांसारिक इच्छाओं को पूरी तरह त्यागना होता है। यह त्याग आध्यात्मिक मार्ग पर चलने का पहला कदम है।
2. तपस्या और श्मशान साधना:
अघोरी साधु कठोर साधना करते हैं, जिसमें ध्यान, योग, और मंत्रों का जप शामिल होता है। इनकी साधना श्मशान घाटों, वीरान स्थानों, और अघोर मठों में की जाती है। वे अघोर मंत्र का जाप करते हैं, जैसे ॐ नमः शिवाय, ॐ अघोरेभ्यों अघोरेभ्यों नम: या अन्य विशिष्ट मंत्र। अघोरी साधु श्मशान घाट को अपनी साधना का केंद्र मानते हैं। वे मृत्यु और उसके रहस्यों को समझने के लिए शव साधना (मृत शरीर के पास ध्यान) करते हैं। यह प्रक्रिया उन्हें संसार और मृत्यु के भय से मुक्त करती है।
4. अघोर जीवनशैली अपनाना
अघोरी साधु सभी प्रकार की भेदभावपूर्ण मानसिकता से ऊपर उठ जाते हैं। वे किसी भी वस्तु या भोजन को अपवित्र नहीं मानते और इसे बिना किसी झिझक ग्रहण करते हैं। उनकी जीवनशैली सादगीपूर्ण, निस्वार्थ और प्रकृति के करीब होती है।
5. ज्ञान और मोक्ष की प्राप्ति
साधना के दौरान, अघोरी साधु अपने भीतर के क्रोध, भय, और नकारात्मकता का सामना करते हैं। वे स्वयं को भगवान शिव के अघोर स्वरूप से जोड़ने का प्रयास करते हैं। जब साधक अपनी साधना में परिपूर्ण हो जाता है, तो उसे आध्यात्मिक ज्ञान और आत्मिक स्वतंत्रता की अनुभूति होती है। अघोरी साधु का अंतिम लक्ष्य मोक्ष (मुक्ति) प्राप्त करना होता है।
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6. सावधानियां और चुनौतियां
अघोरी बनने का मार्ग अत्यंत कठिन और जोखिम भरा है। यह केवल उन लोगों के लिए है, जो आत्म-नियंत्रण और आत्म-अनुशासन का पालन कर सकते हैं। इस प्रक्रिया में मानसिक और शारीरिक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। अघोरी साधु बनने के लिए अत्यधिक समर्पण, अनुशासन, और आत्मा को शुद्ध करने की आवश्यकता होती है। यह मार्ग केवल उन लोगों के लिए है, जो सांसारिक जीवन का पूरी तरह से त्याग कर, आत्मज्ञान और मोक्ष की खोज में जुटना चाहते हैं।