पंजाब में इस बार किस दल की सरकार बनेगी, इसको लेकर तरह-तरह अटकलों का बाजार गर्म है। कोई खिचड़ी सरकार की बात कर रहा है तो कोई एक बार फिर कांग्रेस के सत्ता में आने की बात कर रहा है। हालांकि ओपिनियन पोल में पलड़ा आम आदमी पार्टी का ही भारी चल रहा है, लेकिन कुछ 'समीकरण' ऐसे भी जिससे आप सत्ता की दौड़ में पिछड़ भी सकती है। हालांकि विशेषज्ञों की मानें तो पंजाब की जनता इस बार 'बदलाव' के मूड में है। वह पुराने राजनीतिक 'घरानों' से तंग आ चुकी है।
दरअसल, पंजाब की 16वीं विधानसभा के लिए 117 सीटों पर 20 फरवरी को मतदान होने जा रहा है। ...और ऐसा माना जा रहा है कि पंजाब के वोटरों ने बदलाव का माइंड सेट बना लिया है। पंजाब के वरिष्ठ पत्रकार किरणजीत रोमाना कहते हैं कि यह तय है कि पंजाब में इस बार भी खिचड़ी सरकार नहीं होगी, जो भी सरकार बनेगी वह पूर्ण बहुमत की ही होगी।
रोमाना कहते हैं कि मैंने पंजाब के एक बड़े हिस्से में घूमकर और लोगों से बात कर जो अनुभव किया है, उसके आधार पर राज्य की जनता बदलाव चाहती है। जनता ने अपना माइंड सेट बना लिया है। लोगों को ऐसा लगता है कि 75 सालों में आर्थिक, सामाजिक मुद्दों से लेकर अन्य मुद्दों पर राज्य में कोई काम नहीं हुआ है।
उन्होंने कहा कि पंजाब की जनता ने सभी दलों को आजमा लिया है। अब आम आदमी पार्टी ही ऐसी है, जिसे राज्य की जनता आजमा सकती है। रोमाना कहते हैं कि ऐसा नहीं है कि राज्य के लोग दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल को पसंद करते हैं। उनका मानना है कि 30 फीसदी ही लोग ऐसे होंगे जो केजरीवाल या उनकी आम आदमी पार्टी को पसंद करते हैं, लेकिन 70 फीसदी लोग ऐसे हैं जो बदलाव चाहते हैं।
इसके साथ ही पंजाब को लोग कैप्टन अमरिंदरसिंह और प्रकाश बादल के परिवार से थक और पक चुके हैं। अब वे नया विकल्प चाहते हैं। उन्हें ऐसा लगता है कि पंजाब की राजनीति में जो वैक्यूम पैदा हुआ है, उसे केजरीवाल की आम आदमी पार्टी भर सकती है।
हालांकि एक अटकल यह भी लगाई जा रही है कि डेरा सच्चा सौदा के गुरमीत राम रहीम की पैरोल पर रिहाई पंजाब के राजनीतिक समीकरणों पर असर डाल सकती है। आम आदमी पार्टी का जिस मालवा क्षेत्र में ज्यादा प्रभाव है, वहां डेरा प्रमुख का भी प्रभाव बताया जाता है। उनकी अपील का असर आप की संभावनाओं पर पड़ सकता है।