1. रामायण काल में थे सिंधु घाटी के नगर : पुरातत्व वैज्ञानिकों ने सिंधु घाटी की पॉटरी की नई सिरे से पड़ताल की और ऑप्टिकली स्टिम्यलैटड लूमनेसन्स तकनीक का इस्तेमाल करके इसकी उम्र का पता लगाया तो यह 6,000 वर्ष पुराने निकले हैं। इसके अलावा अन्य कई तरह की शोध से यह पता चला कि यह सभ्यता 8,000 वर्ष पुरानी है। इसका मतलब यह कि यह सभ्यता तब विद्यमान थी जबकि भगवान श्रीराम (5114 ईसा पूर्व) का काल था और श्रीकृष्ण के काल (3228 ईसा पूर्व) में इसका पतन होना शुरू हो गया था। शोधकर्ता ने इसके अलावा हड़प्पा सभ्यता से 1,0000 वर्ष पूर्व की सभ्यता के प्रमाण भी खोज निकाले हैं। सिंधु घाटी में ऐसी कम से कम आठ प्रमुख जगहें हैं जहां संपूर्ण नगर खोज लिए गए हैं। जिनके नाम हड़प्पा, मोहनजोदेड़ों, चनहुदड़ो, लुथल, कालीबंगा, सुरकोटदा, रंगपुर और रोपड़ है।
2. रामायण काल के जनपद : राम के काल 5114 ईसा पूर्व में 9 प्रमुख महाजनपद थे जिसके अंतर्गत उपजनपद होते थे। ये 9 इस प्रकार हैं- 1.मगध, 2.अंग (बिहार), 3.अवन्ति (उज्जैन), 4.अनूप (नर्मदा तट पर महिष्मती), 5.सूरसेन (मथुरा), 6.धनीप (राजस्थान), 7.पांडय (तमिल), 8. विन्ध्य (मध्यप्रदेश) और 9.मलय (मलावार)।
उक्त महाजनपदों के अंतर्गत ही कैकयी, कौशल, अवध, मिथिला आदि जनपद होते थे। इन्हीं महाजनपदों में खासकर अवध, कैकयी, कौशल, प्रयाग, चित्रकूट, जनकपुर (मिथिला), दण्डकारण्य, महाकान्तर, तालीमन्नार, किष्किन्धा, रामेश्वरम, लंका, कंपिल, नैमिषारण्य, गया, अवंतिका, शूरसेन (मथुरा), कम्बोज, कुशावती, दशार्ण (विदिशा), निषाद, काशी, पंचवटी, मलय आदि कई क्षेत्र प्रसिद्ध थे।