राम विवाह Ram Vivah : कहते हैं कि मार्गशीर्ष के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के दिन श्रीराम और माता सीता का विवाह हुआ था। जिसका वर्णन श्रीरामचरितमानस में महाकवि गोस्वामी तुलसीदासजी ने बड़ी ही सुंदरता से किया है।
1. एक कथा के अनुसार सीता स्वयंवर से पहले एक तोते ने बगीचे में मां सीता को उनके भावी पति के बारे में पहले ही बता दिया था। इस तोते के श्राप के कारण ही माता को पति से विवाह सहना पड़ा था क्योंकि माता सीता ने तोते की तोती को पकड़ लिया और कहा था कि जब तक तुम्हारी भविष्यवाणी सही नहीं हो जाती तब तक यह मेरी कैद में रहेगी।
2. भगवान श्री राम ने स्वयंवर प्रतियोगिता में शिवजी का धनुष तोड़कर किया था सीता से स्वयंवर। असल में सीता ने राम और राम ने सीता को पहले ही चुन लिया था।
3. स्वयंवर के बाद मार्गशीर्ष (अगहन) मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी को भगवान श्रीराम तथा जनकपुत्री जानकी (सीता) का विवाह हुआ था, तभी से इस पंचमी को 'विवाह पंचमी पर्व' के रूप में मनाया जाता है।
4. कहा जाता है कि उनका विवाह देखने को स्वयं ब्रह्मा, विष्णु एवं रूद्र ब्राह्मणों के वेश में आए थे। दूसरी ओर सभी देवी और देवता भी विभिन्न वेश में उपस्थित थे। चारों भाइयों में श्रीराम का विवाह सबसे पहले हुआ।
5. विवाह के समय ब्रह्महर्षि वशिष्ठ एवं राजर्षि विश्वामित्र उपस्थित थे। विवाह का मंत्रोच्चार चल रहा था और उसी बीच कन्या के भाई द्वारा की जाने वाली रस्म की बारी आई। तब वहीं पर धरती माता भी बैंठी थी तो उनके पुत्र मंगलदेव ने इस रस्म को पूरा किया। हालांकि इस घटना का उल्लेख रामायण में बहुत कम ही मिलता है।
6. श्रीराम और सीताजी के विवाह में सभी देव, देवी, यक्ष एवं गंधर्व पधारे थे। पुराणों में इस विवाह का बहुत वर्णन मिलता है। कोई भी इस विवाह को देखने का मौका छोड़ना नहीं चाहता था।
7. इस विवाह का रोचक वर्णन आपको रामचरित मानस में मिलेगा।
9. कुछ लोग श्रीराम और सीता के विवाह को दुख:द घटना मानकर इस दिन यानी पंचमी के दिन विवाह नहीं करते हैं, क्योंकि दोनों को वनवास हुआ था और बाद में दोनों को 2 वर्ष तक एक दूसरे से अलग रहना पड़ा था।
9. विवाह के समय श्रीराम की उम्र 13 साल और देवी सीता की उम्र 6 वर्ष बताई जाती है। विवाह के 12 वर्ष बाद वनवास पर जाते समय श्रीराम की आयु 25 और सीताजी की आयु 18 वर्ष थीं।
10. कहते हैं कि विवाह के बाद दोनों 6 वर्ष तक जनक जी के महल में ही रहे थे। इसके बाद श्रीराम को वनवास हुआ तो माता सीता भी उनके साथ चली गई और 14 वर्ष के वनवास में अंतिम दो वर्ष माता सीता रावण की कैद में रही।