न्यायमूर्ति समीर दवे ने वड़ोदरा स्थित सर सयाजीराव गायकवाड़ अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट पर गौर किया, जिन्होंने चिकित्सकों के एक पैनल से पीड़िता की मेडिकल जांच कराने का चार सितंबर को निर्देश दिया था।
अदालत ने अपने आदेश में कहा कि याचिका स्वीकार की जाती है। प्रतिवादी संख्या 3 को पीड़िता की गर्भावस्था आज से एक सप्ताह की अवधि के अंदर समाप्त करने का निर्देश दिया जाता है। अदालत ने कहा कि रिपोर्ट के अनुसार, भ्रूण करीब 27 सप्ताह का है।
उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को पीड़िता को 2.5 लाख रुपये का मुआवजा देने का भी निर्देश दिया, जिसमें से 50,000 रुपए तुरंत अदा किए जाएं और शेष दो लाख रुपए उसके नाम पर बैंक में जमा किया जाए तथा सावधि जमा पर मिलने वाला ब्याज उसके 21 साल की आयु के होने तक दिया जाए। उच्च न्यायालय ने कहा कि जमा राशि पीड़िता के 21 वर्ष की आयु के होने पर अदा की जाए।
अदालत ने अस्पताल को भ्रूण का डीएनए संरक्षित रखने का भी निर्देश दिया, जैसा कि याचिकाकर्ता ने अनुरोध किया था। डेडियापाड़ा स्थित संबद्ध पुलिस थाने को पीड़िता का गर्भपात कराने के लिए वड़ोदरा स्थित अस्पताल ले जाने का निर्देश दिया गया।