न्यायमूर्ति बी विजयसेन रेड्डी ने आदेश दिया कि बच्ची के गर्भपात की प्रक्रिया अस्पताल की वरिष्ठतम स्त्री रोग विशेषज्ञ द्वारा की जाएगी और डीएनए एवं अन्य जांच के लिए भ्रूण के ऊतक और रक्त के नमूने एकत्र किए जाएंगे। इससे पहले गांधी अस्पताल के चिकित्सकों ने पीड़िता की मां (याचिकाकर्ता) से कहा था कि चूंकि पीड़िता को गर्भधारण किए 24 सप्ताह से अधिक समय हो चुका है इसलिए गर्भ का चिकित्सकीय समापन (संशोधन) विधेयक, 2021 के प्रावधानों के तहत उसका गर्भपात नहीं किया जा सकता। इसके बाद पीड़िता की मां ने अदालत का दरवाजा खटखटाया था।