राज्य स्वास्थ्य सेवाओं के निदेशक डॉ. अमन वार ने बताया कि इस जंगली मशरूम की पहचान अमानिता फेलोइड्स के तौर पर की गई है, जो सीधे यकृत को नुकसान पहुंचाता है। जांच में मौत का कारण जहरीले मशरूम के होने का पता चलने के बाद इसकी पुष्टि हुई।
उन्होंने बताया कि बीमार पड़ी गर्भवती महिला समेत ज्यादातर अन्य लोग ठीक हो गए हैं और घर चले गए हैं। इसलिए इसके सेवन के बाद भी लोग बच सकते हैं, क्योंकि यह इस बात पर निर्भर करता है कि आपने कितनी मात्रा में इसका सेवन किया है? उन्होंने बताया कि केवल 1 व्यक्ति पर इसका असर नहीं हुआ, क्योंकि हो सकता है कि उसने ज्यादा मात्रा में इसका सेवन नहीं किया था।
डॉ. वार ने बताया कि 3 लोगों का अब भी इलाज चल रहा है और वे स्वस्थ हो रहे हैं। 2 लोग पूर्वोत्तर इंदिरा गांधी राष्ट्रीय स्वास्थ्य एवं आयुर्विज्ञान संस्थान (एनईआईजीआरआईएचएमएस) में और 1 व्यक्ति वुडलैंड अस्पताल में भर्ती है। स्वास्थ्य विभाग तो बस लोगों से, खासकर ग्रामीण इलाकों में रहने वालों से जंगली मशरूम न खाने की अपील कर सकता है जबकि उद्यान विभाग को जागरूकता पैदा करने के लिए कदम उठाने चाहिए। (भाषा)