लखनऊ। उत्तर प्रदेश के थाना चौबेपुर के अंतर्गत 2 व 3 जुलाई की मध्यरात्रि हुए बिकरू कांड में जहां पुलिसवालों के मासूम बच्चों के सिर से पिता का साया अपराधी विकास दुबे ने छीन लिया था तो वहीं अपराधी विकास दुबे का साथ दे रहे लोगों के मासूम बच्चों को भी कष्ट उठाना पड़ा रहा है और अपनों की करनी की सजा एक 7 वर्षीय मासूम को भी जेल में रहकर भुगतनी पड़ी थी, लेकिन देर से सही 8 महीने के बाद मासूम को खुली हवा में एक बार फिर घूमने-फिरने और सांस लेने का मौका मिला है और यह मौका किसी और ने नहीं बल्कि उसकी मौसी ने दिया है। कोर्ट के आदेश के बाद उसकी मौसी ने अपनी सुपुर्दगी में ले लिया है।
अपने माता-पिता के आरोपों की सजा भुगत रहे दोनों मासूम बच्चों को देखकर उनकी मौसी गुड्डी ने न्यायालय में पेश हलफनामे में बेटी को उनके सुपुर्द करने का अनुरोध किया था। मौसी ने कोर्ट में अधिवक्ता के माध्यम से प्रार्थना पत्र देते हुए कहा था कि बच्ची के जेल में रहने से उसका मानसिक संतुलन बिगड़ सकता है और उसकी पढ़ाई भी प्रभावित हो रही है।
साथ ही उन्होंने कोई भी ऐसा जुर्म नहीं किया है कि उन्हें जेल में रहना पड़े इसलिए बच्ची का पालन-पोषण सही ढंग से हो, इसके लिए बच्ची की सुपुर्दगी दे दी जाए, जिस पर सुनवाई करते हुए विशेष न्यायाधीश दस्यु प्रभावित कोर्ट ने 7 वर्षीय बच्ची की सुपुर्दगी उसकी मौसी को दिए जाने के आदेश दिए थे जिसके बाद 7 वर्षीय मासूम बच्ची को जेल से रिहा करते हुए उसकी मौसी के सुपुर्द कर दिया गया है।