मालवीय ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, शांतनु सिन्हा की सात जून 2024 की निंदनीय फेसबुक पोस्ट ने एक समझौतावादी राजनीतिक व्यवस्था का भूत अथवा संकट खड़ा कर दिया है। यह व्यवस्था महिलाओं को वस्तु के रूप में देखती है। उन्होंने कहा, यह सार्वजनिक जीवन में, लिंग के आधार पर कार्य संबंधों को द्विआधारी दृष्टिकोण से देखता है, जो विशेष रूप से महिलाओं के लिए अपमानजनक है।
भाजपा के आईटी सेल के प्रमुख ने पोस्ट किया, इसलिए यह आश्चर्य की बात नहीं है कि तृणमूल कांग्रेस और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने झूठ को फैलाने और प्रचारित करने का विकल्प चुना, जबकि उन्हें महिलाओं की गरिमा के लिए बोलना चाहिए था।
मालवीय ने कहा, मेरे अधिवक्ताओं ने आठ जून को शांतनु सिन्हा को एक कानूनी नोटिस भेजा, जिसमें बिना शर्त माफ़ी की मांग की गई, लेकिन इस पर सिन्हा का 11 जून, 2024 का जवाब स्पष्ट नहीं है। उनका जवाब कानूनी नोटिस में की गई मांग के अनुकूल नहीं है। उनकी कथित माफी बेहद समस्याग्रस्त और कमजोर है।
उन्होंने कहा, कथित पोस्ट मानहानिकारक, सुनियोजित और दुर्भावनापूर्ण था। विपक्षी दलों के व्यापक प्रचार-प्रसार के कारण अधिक मानहानि हुई है। उन्होंने कहा, इसलिए मैंने भारतीय दंड संहिता की उचित धाराओं के तहत शांतनु सिन्हा के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मुकदमा चलाने का फैसला किया है। मशविरे के अनुसार, अन्य दीवानी उपाय भी किए जा सकते हैं।
मालवीय के खिलाफ़ झूठे और मानहानिकारक आरोप लगाने के लिए कानूनी नोटिस प्राप्त कर चुके कोलकाता के अधिवक्ता शांतनु सिन्हा ने मंगलवार को दावा किया था कि उनके बयानों की गलत व्याख्या की गई। सिन्हा ने यह भी कहा कि वह पोस्ट वापस नहीं लेंगे, लेकिन अगर इससे मालवीय को ठेस पहुंची है तो वह हार्दिक दुख प्रकट करते हैं। (भाषा)
Edited By : Chetan Gour