मुलायम सिंह यादव ने अपनी बिरादरी के किसी नेता को राज्य में मजबूत नहीं होने दिया। मित्रसेन यादव, रामसुमेर यादव, बलराम यादव अपनी जातियों के बड़े नेताओं में गिने जाते थे लेकिन मुलायम सिंह यादव ने धीरे-धीरे अपनी जाति का वटवृक्ष बनकर सभी को बौना कर दिया।
आजमगढ़ में रमाकांत यादव कई बार सांसद चुने गए। उनकी राजनीतिक कद-काठी बढ़ती जा रही थी। बिरादरी में वे बड़े नेता के रूप में उभर रहे थे। मुलायम सिंह यादव ने 2014 में मैनपुरी छोड़ आजमगढ़ से लोकसभा का चुनाव लड़ा और रमाकांत को हराया। हार की वजह से लगातार आगे बढ़ रहे रमाकांत की तेजी में ब्रेक लगा। भाजपा उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़े रमाकांत यादव को अभी भी इसकी टीस है।