मुंबई। अरविंद केजरीवाल के एक कार्यकर्ता से लेकर दिल्ली के मुख्यमंत्री बनने तक की कहानी बयां करने वाला एक वृत्तचित्र केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) के पास अटक गया है। दरअसल, फिल्म निर्माताओं ने दावा किया है कि उन्हें इसमें से भाजपा और कांग्रेस का जिक्र हटाने को कहा गया है।
खुशबू रांका और विनय शुक्ला के निर्देशन में बनी यह फिल्म ‘एन इनसिग्निफिकंट मैन’ केजरीवाल और आम आदमी पार्टी के गठन के बारे में है। खुशबू ने कहा कि हमने अपनी फिल्म में एक बाहरी व्यक्ति को राजनीति में प्रवेश करते दिखाया है, यह इस बारे में है कि प्रदर्शन करने वाला कोई व्यक्ति कैसे एक नेता बन जाता है। हमने अपनी फिल्म के लिए किसी तरह के संकट की उम्मीद नहीं की थी।
उन्होंने कहा कि यह एक राजनीतिक फिल्म है इसलिए किसी भी संख्या में चीजें समस्या पैदा करने वाली, या नहीं करने वाली हो सकती हैं। हालांकि सीबीएफसी के अध्यक्ष पहलाज निहलानी ने उनके दावों का खंडन करते हुए कहा कि उनसे नियमित प्रक्रिया का पालन करने को कहा गया है।
उन्होंने भाषा से कहा कि हमने उनसे नियमित प्रक्रिया का पालन करने को कहा है। हमने उनसे कोई और चीज देने को नहीं कहा है। हमने उन्हें एक नोटिस दिया है। हमने उन्हें कुछ शब्दों को ‘म्यूट’ करने को कहा है और उनके बारे में पत्र में बताया गया है, जिसे उन्हें मीडिया को साझा करना चाहिए। दोनों निर्माताओं ने इस साल फरवरी में प्रमाणन के लिए आवेदन किया था और छानबीन समिति ने फिल्म देखी।
विनय ने दावा किया कि फिल्म जब समीक्षा समिति के पास गई तब हमसे फिल्म को हरी झंडी के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय, दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित और मौजूदा मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से एक अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) लेने को कहा गया। उन्होंने कहा कि अगले कदम के लिए वे लोग अपने वकीलों से मशविरा कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि कोई फिल्म निर्माता जब एक यथार्थवादी फिल्म बनाने की कोशिश करता है तब उसे सीबीएफसी के मनमाने नियमों से सजा मिलती है। गौरतलब है कि 90 मिनट का यह वृत्तचित्र पिछले साल टोरंटो फिल्म उत्सव में दिखाया गया था। (भाषा)