चमोली आपदा में अब तक मृतकों की संख्या हुई 61, अब झील खतरनाक नहीं

निष्ठा पांडे
गुरुवार, 18 फ़रवरी 2021 (20:24 IST)
जोशीमठ। आपदा प्रभावित इलाकों से मल में दबे व्यक्तियों की खोजबीन लगातार जारी है। जिलाधिकारी चमोली स्वाति एस. भदौरिया ने बताया कि गुरुवार को तपोवन टनल से 2 शव व 1 मानव अंग और रैणी क्षेत्र से 1 महिला का शव बरामद किया गया। आपदा में लापता 206 लोगों में से अब तक 61 लोगों के शव और 27 मानव अंग बरामद किए जा चुके हैं तथा 143 अभी लापता चल रहे है। रैणी में ऋषिगंगा पावर प्रोजेक्ट, तपोवन में विष्णुगाड हाइड्रो प्रोजेक्ट एवं नदी तटों के आसपास लापता व्यक्तियों की खोजबीन जारी है।
 
जिलाधिकारी ने बताया कि अब तक 26 मृतकों के परिजनों एवं 11 घायल व्यक्यिों अहैतुक सहायता राशि तथा एक परिवार को गृह अनुदान राशि का वितरण किया गया है। प्रभावित क्षेत्रों में संचालित स्वास्थ्य शिविरों में अब तक 1929 लोगों का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया, वहीं 124 पशु चिकित्सा के साथ-साथ पशुओं के चारे हेतु 61 फीड ब्लॉक बांटे गए।

प्रभावित परिवारों को 553 राशन किट, 2 बर्तन किट, 45 सोलर लाइट, 9 कम्बल वितरित किए गए। आपदाग्रस्त क्षेत्रों में विद्युत आपूर्ति एवं क्लोरीनेशन के उपरांत पेयजल आपूर्ति सुचारू है। जिला प्रशासन की टीम आपदा प्रभावित क्षेत्रों में लापता लोगों के परिजनों को सहायता पहुंचाते हुए उनका स्वास्थ्य परीक्षण कर सांत्वना दे रहे हैं। प्रभावित क्षेत्रों में हालात सामान्य होने लगे है। जिलाधिकारी आपदा प्रभावित क्षेत्रों में रेस्क्यू कार्यों की रेग्यूलर मॉनिटरिंग में लगी हुई हैं।
 
अभी तक मिले शवों में से 33 की शिनाख्त हो चुकी है। गुरुवार को 3 मृतकों की शिनाख्त हुई। इसमें जगदीश तोमर पुत्र धूम सिंह निवासी कालसी देहरादून, विक्की भगत पुत्र कर्मदास भगत निवासी झारखंड तथा माधवी देवी पत्नी चेत सिंह निवासी जुगजू तपोवन चमोली शामिल है। दूसरी ओर चमोली में आज 1 शव तथा 1 मानव अंग का अंतिम दाह संस्कार किया गया।
अब झील खतरनाक नहीं : केंद्रीय गृह सचिव अजय कुमार भल्ला ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सदस्य सचिव संजीव कुमार जिंदल, आईटीबीपी, राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केन्द्र, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ), केंद्रीय जल आयोग, आईआईटी रूड़की आदि विभागों और एजेंसियों के साथ चमोली के जोशीमठ में ऋषिगंगा और धौलीगंगा में आकस्मिक बाढ़ व आपदा की रोकथाम के कामों की समीक्षा की।

ऑनलाइन जुड़े विभिन्न विभागों और एजेंसियों के वैज्ञानिकों ने वार्ता के दौरान केन्द्रीय गृह सचिव को बताया कि प्राकृतिक झील की स्थिति अभी खतरनाक नहीं है, लेकिन धरातल की वास्तविक जानकारी उपरांत 2-3 दिन बाद ही कोई उचित कदम उठाया जा सकता है तब तक नई जलधाराएं बनाई जाएं तथा जो बनाई गई हैं उनको और गहरा किया जाए ताकि पानी की अधिक मात्रा में निकासी सुनिश्चित हो।
 
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रेल रोको आंदोलन का असर उत्तराखंड में भी  : अखिल भारतीय संघर्ष मोर्चा उत्तराखंड के आह्वान पर संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले डोईवाला रेलवे स्टेशन पर कृषि कानूनों के खिलाफ किसान संगठनों के रेल रोको आंदोलन के समर्थन में  प्रदर्शन किया। वक्ताओं ने कहा कि काले कृषि कानूनों का देशभर में विरोध हो रहा है। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने कोविड महामारी के दौरान किसानों मजदूरों के मांगों पर ध्यान देने की बजाय किसानों के विरुद्ध तीन कृषि कानून व अधिकारियों कर्मचारी मजदूरों के पक्ष में बने 44 श्रम कानूनों को खत्म कर चार कानून बना दिए।

भारतीय विद्युत अधिनियम को भी संशोधित करने के लिए अधिनियम तैयार किया गया। कृषि कानूनों के खिलाफ किसान संगठनों की ओर से दोपहर 12 बजे से 4 बजे तक रेल रोको आंदोलन का असर उत्तराखंड में भी असर दिखाता नजर आया। रुड़की और बाजपुर में किसान रेल की पटरी पर बैठे। किच्छा में किसानों ने टोल प्लाजा पर धरना देकर टोल फ्री करा दिया।
 
केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान संगठन आज दोपहर 12 से 4 बजे तक देश भर में रेल को रोककर अपना विरोध दर्ज कर रहे थे। इसी के तहत किसान गुरुवार की सुबह उधमसिंह नगर के किच्छा में चूकटी स्थित टोल प्लाजा पर एकत्र हुए। किसान लालपुर पुलिस चौकी के सामने दरी बिछा कर बैठ गए। किसानों ने टोल प्लाजा फ्री कराया। वहीं, आंदोलन को देखते हुए बड़ी संख्या में पुलिस फोर्स तैनात किया गया है।
 
बाजपुर में भाकियू के प्रदेश अध्यक्ष कर्म सिंह पड्डा के नेतृत्व में किसान रेल की पटरी पर सुबह से ही बैठ गए। हालांकि यहां लोकल ट्रेन नहीं चल रही हैं। ऐसे में यहां रेल र रोको आंदोलन प्रतीकात्मक रहा। किसानों ने कहा कि केंद्र सरकार को किसानों की मांगों को शीघ्र पूरा करने के साथ ही तीनों कृषि कानूनो को अविंलंब निरस्त करना चाहिए।
भारतीय किसान यूनियन उत्तराखंड, किसान मोर्चा, अखिल भारतीय किसान यूनियन और किसान कामगार मोर्चा की ओर से रुड़की रेलवे स्टेशन पर भी धरना दिया गया। जब किसान रेलवे ट्रैक की ओर बढ़ रहे थे, तभी पुलिस ने उन्हें रोकने की कोशिश की। इस बात को लेकर किसानों व पुलिसकर्मियों के बीच जमकर नोकझोंक हुई। किसी तरह से पुलिस अधिकारियों ने किसानों को मनाने की कोशिश की लेकिन, वे नहीं माने। इसके बाद किसान एक नंबर प्लेटफार्म पर पहुंचे और रेलवे ट्रैक पर पहुंचकर धरना शुरू कर दिया।
 
इस मौके पर उत्तराखंड किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष गुलशन रोड ने कहा कि सरकार किसानों के धैर्य की परीक्षा ले रही है। तीनों कृषि कानून का पूरे देश में विरोध हो रहा है। इसके बावजूद सरकार कानून वापस नहीं ले रही है। सरकार को चाहिए कि तत्काल कानून वापस ले। भाकियू के गढ़वाल मंडल अध्यक्ष संजय चौधरी ने कहा कि किसान अब किसी भी सूरत में कदम वापस नहीं खींचेंगे। सरकार को यह कानून वापस लेना होगा।
 
त्रिवेन्द्र सरकार की कैबिनेट की बैठक  
 
आगामी दिनों में चुनाव को देखते हुए त्रिवेंद्र सरकार ने राज्य में बिना नक्शा पास कर बनाए गए भवनों को वैध करने के लिए वन टाइम सैटलमेंट स्कीम के तहत मौका देने का निर्णय लिया है। बुधवार को हुई कैबिनेट में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की अध्यक्षता में हुई प्रदेश मंत्रिमंडल की बैठक में आवास विभाग के इस प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। इसके तहत आवासीय एवं गैर आवासीय भवनों, जिनमें एकल आवास, दुकानें, कार्यालय, नर्सिंग होम, पैथोलॉजी, चाइल्ड केयर, नर्सिंग स्कूल, प्ले ग्रुप स्कूल आदि को एकमुश्त योजना के तहत निर्धारित शुल्क देकर वैध कराया जा सकेगा।
 
इसके लिए पर्वतीय क्षेत्रों में आवास के लिए 2500 रुपए, मैदानी क्षेत्रों में पांच हजार रुपए आवेदन शुल्क तय किया गया है। गैर आवासीय में पर्वतीय क्षेत्रों के पांच हजार और मैदानी क्षेत्रों के 10 हजार रुपए शुल्क रखा गया है। एक बार समाधान हो जाने के बाद सेटेलाइट से निगरानी की जाएगी और उसके बाद कहीं अवैध निर्माण पाए जाने पर संबंधित अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई होगी। 
 
24 प्रस्तावों को कैबिनेट की मंजूरी : प्रदेश मंत्रिमंडल में कुल 24 प्रस्तावों को मंजूरी दी गई। कैबिनेय ने जो निर्णय लिए उसके अनुसार अब प्रदेश में महिलाएं पति की पैतृक संपत्ति में सहखातेदार होंगी। इसके साथ ही परित्यक्त और संतानहीन बेटियों को भी पैतृक संपत्ति का अधिकार दिया गया है। प्रदेश मंत्रिमंडल ने राजस्व विभाग के प्रस्ताव पर मुहर लगाई। इसके तहत  कैबिनेट ने उत्तराखंड उत्तर प्रदेश भूमि जमींदारी विनाश और भूमि व्यवस्था अधिनियम 1950 संशोधन अध्यादेश 2021 को मंजूरी दी है। यह अध्यादेश विधेयक के रूप में विधानसभा में सत्र के दौरान आएगा।
 
लाख बिजली उपभोक्ताओं को विलंब शुल्क में तीन माह की छूट देने का भी निर्णय कैबिनेट ने लिया। इसका लाभ घरेलू, वाणिज्य, छोटे उद्योग और निजी नलकूप के बिजली उपभोक्ताओं को होगा। इससे सरकारी खजाने पर 230 करोड़ रुपए का आर्थिक बोझ पड़ने का अनुमान है। कैबिनेट ने  तीर्थनगरी हरिद्वार में हर की पैड़ी से चंडीदेवी तक रोपवे का निर्माण के लिए पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मोड में बनाने कि अनुमति दे दी। इस पर 149 करोड़ की लागत आएगी।

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