उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में मठ-मंदिरों का उद्धार हो सकता है क्योंकि यहां एक योगी, बचपन से संन्यासी और नाथ संप्रदाय के प्रमुख होने के साथ ही प्रदेश के मुख्यमंत्री भी हैं और उनका यह दायित्व है कि वह इस पर ध्यान दें।
यहां माघ मेले में अपने शिविर में बातचीत में उन्होंने कहा कि गोशालाओं का संचालन, संस्कृत विद्यालयों का संचालन, गोवंश का संरक्षण इन मठ-मंदिरों और संतों द्वारा ही किया जा रहा है।
मठ-मंदिरों की दयनीय स्थिति के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि मठ-मंदिरों की संपत्ति पर पुराने न्यासियों या अराजक तत्वों के कब्जा करने की प्रवृत्ति देखी गई है। लेकिन अगर कोई महंत कथावाचक नहीं है, राजनीतिक व्यक्तियों से गठबंधन नहीं है, व्यापारियों से गठबंधन नहीं है तो ऐसे मठ के साधु-संत मठ चला सकें, ठाकुर जी को भोग लगा सकें यही बहुत है।
उन्होंने कहा कि हमारे मठ-मंदिर सनातनधर्मियों के दुर्ग हैं, लेकिन दुर्भाग्य से इनका संचालन धर्मनिरपेक्ष शासन तंत्र द्वारा किया जाने लगा। वहीं दूसरी ओर अन्य धर्म के लोगों को उनके संस्थानों से अतिरिक्त प्रशिक्षण मिल रहा है।