हाल ही में एलजीबीटीक्यू समुदाय के एक सम्मेलन में भाग लेने वाली 41 वर्षीय सुचेतना ने कहा कि वह सुचेतन कहलाना पसंद करेंगी। उन्होंने कहा कि मुझे अक्सर अपमानित किया गया है क्योंकि मैं किशोरावस्था से ही खुद को एक महिला नहीं, बल्कि एक पुरुष के रूप में देखती थी। मुझे लगता है कि अब मैं इस लड़ाई के लिए तैयार हूं।
सुचेतना ने कहा कि उनके पिता बुद्धदेव भट्टाचार्य हमेशा उनके फैसले के समर्थक रहे हैं, जबकि मां मीरा ने भी इसका विरोध नहीं किया, भले ही उन्हें आपत्ति थी।
उन्होंने कहा कि मैं उन सभी की आभारी हूं जिन्होंने सोशल मीडिया पर मेरा समर्थन किया है। मुझे सभी की शुभकामनाओं की जरूरत है। सुचेतना ने कहा कि आधिकारिक पहचान पत्र में नाम और लिंग बदलने की कानूनी प्रक्रिया सर्जरी से पहले होगी। इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री भट्टाचार्य और उनकी पत्नी की कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। (भाषा)