दरअसल, छात्रा की हिन्दी की कॉपी जांचने में 2 नंबर के एक उत्तर के अंक फाइनल रिजल्ट में नहीं जोड़े गए, लेकिन दोबारा कॉपी जांची गई तो वही छात्रा राज्य की सेकंड टॉपर निकली।
खबरों के मुताबिक, जुलाई 2017 में रिजल्ट जारी हुआ था। रिजल्ट के रिवीजन के बाद बेगूसराय की रहने वाली छात्रा भव्या कुमारी को उस उत्तर के बदले एक अंक दिया गया। भव्या के अब 500 में 465 नंबर हो गए हैं, जो साल 2017 में टॉप करने वाले छात्र के बराबर ही हैं।
भव्या ने आरटीआई के तहत हिन्दी, सोशल साइंस और संस्कृत की कॉपी मांगी थी। भव्या के वकील के अनुसार, मार्च 2018 में तीनों कॉपियों के डुप्लीकेट उपलब्ध कराए गए थे, जिसके बाद भव्या ने हाईकोर्ट का रुख किया। बाद में कोर्ट को बताया गया कि हिन्दी की कॉपी में तीन उत्तर और संस्कृत और सोशल साइंस की कॉपी में एक-एक उत्तर का मूल्यांकन ही नहीं किया गया था।