सेवकों ने तुरंत श्रद्धालुओं से सुरक्षित स्थान पर जाने का आग्रह किया, जिसके चलते मंदिर में कुछ समय के लिए भय और चिंता का माहौल बन गया। वन विभाग, स्थानीय पुलिस और ग्रामीणों ने प्रयास किए और उन्होंने जंगली हाथी को सफलतापूर्वक जंगल में वापस भेज दिया।
पहाड़ियों के बीच बसा 5000 साल पुराना तीर्थस्थल कुमारधारा नदी के तट पर स्थित है। मंदिर में भगवान सुब्रह्मण्य की पूजा एक सांप के रूप में की जाती है। अश्लेषा बलि (काले सांप से सुरक्षा के लिए प्रार्थना) और सर्प दोष परिहार (नाग देवता के किसी भी अभिशाप का निवारण) कुक्के सुब्रमण्यम मंदिर में की जाने वाली दो लोकप्रिय पूजा अनुष्ठान हैं।