खबरों के अनुसार, एक परिवार में सास-ससुर अपने बेटे-बहू के रोजाना के झगड़े से परेशान थे। कुछ वक्त बाद बेटा घर छोड़कर किराए के मकान में शिफ्ट हो गया, लेकिन बहू अपने बुजुर्ग सास-ससुर के साथ ही रही। वह घर छोड़कर जाना नहीं चाहती थी, जबकि सास-ससुर बहू को घर से निकालना चाहते थे।
इसके लिए ससुर ने कोर्ट में याचिका दायर की थी कि वह संपत्ति के पूर्ण मालिक हैं और उनका बेटा किसी अन्य स्थान पर रहता है और वह अपनी बहू के साथ रहने के इच्छुक नहीं हैं, क्योंकि वह झगड़ालू प्रवृत्ति की बहू से बहुत परेशान हो गए।
बाद में कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि झगड़ालू प्रवृत्ति की बहू को संयुक्त घर में रहने का कोई अधिकार नहीं है और संपत्ति के मालिक उसे घर से बेदखल कर सकते हैं। उच्च न्यायालय ने कहा कि बुजुर्ग मां-बाप को शांतिपूर्ण जिंदगी जीने का अधिकार है। यदि बहू रोजाना चिक-चिक की आदत छोड़ने को तैयार नहीं है, तो उसे घर से निकाला जा सकता है।