जम्मू। कश्मीर में भाजपा नेताओं की जान सांसत में है। नतीजा सामने है। एक भाजपा नेता की हत्या के बाद आतंकियों द्वारा जारी की गई धमकियों के परिणामस्वरूप आधा दर्जन भाजपा नेता एक सप्ताह में भाजपा का दामन छोड़ चुके हैं। ताजा घटनाक्रम में कुलगाम में भाजपा के विधानसभा क्षेत्र के इंचार्ज ने पार्टी से नाता तोड़ दिया। उन्होंने सोशल मीडिया पर इस्तीफा देने की घोषणा करते हुए कहा कि उनका भाजपा से कोई लेना-देना नहीं है। पिछले 2 हफ्ते में कश्मीर खासतौर पर साउथ कश्मीर में 4 नेताओं की हत्या हुई है। इसके बाद से इलाके के नेताओं में डर का माहौल बना हुआ है।
बताया जा रहा है कि आतंकियों की तरफ से लगातार नेताओं को निशाना बनाया जा रहा है। खासतौर पर भाजपा के नेताओं पर हमले किए जा रहे हैं। ऐसे में कश्मीर में भाजपा के नेताओं में डर का माहौल बन गया है। पहले भी ऐसा ही हुआ था। भाजपा के नेताओं पर हमले होने के बाद कई नेताओं ने पार्टी छोड़ दिया था। माना जा रहा है कि जिस प्रकार से हत्याएं हो रही हैं, आने वाले दिनों में और नेताओं की तरफ से पार्टी को छोड़ दिया जाएगा। भाजपा कश्मीर में अपनी पार्टी को मजबूत करने में लगी हुई है लेकिन इस प्रकार की घटनाएं होने के बाद नेताओं में डर का माहौल बना हुआ है।
कुछ अरसा पहले कश्मीर में भाजपा का साथ छोड़ने वालों में 2 प्रमुख नेता बारामूला के भाजपा युवा मोर्चा इकाई के प्रधान मारूफ बट तथा कुपवाड़ा के भाजपा के जिला उपाध्यक्ष आसिफ अहमद भी हैं। दोनों ने बांडीपोरा के पूर्व जिलाध्यक्ष शेख वसीम बारी की हत्या के बाद ऐसा कदम उठाया था। हालांकि भाजपा के अन्य नेता इससे इंकार करते हैं, पर भाजपा का साथ छोड़ने वालों ने जान बचाने की खातिर ऐसा किया है। कइयों ने बकायदा फेसबुक व अन्य सोशल मीडिया पर अपने इस्तीफों की घोषणा करते हुए सुरक्षा के मुद्दे को उठाया था। सुरक्षाधिकारियों ने इसे माना था कि वर्ष 2019 में 5 अगस्त को जम्मू-कश्मीर राज्य के 2 टुकड़े कर देने की कवायद के बाद से ही भाजपा नेता व कार्यकर्ता आतंकियों के निशाने पर थे।
इस अवधि में आतंकियों ने कईयों पर जानलेवा हमले भी किए थे। अब जबकि आतंकी खुलकर भाजपा नेतओं को पोस्टरों के माध्यम से धमकियों व चेतावनियों को जारी करने लगे तो जान बचाने की खातिर भाजपा नेताओं ने पार्टी के अतिरिक्त राजनीति से भी किनारा करने के एलान करने आरंभ कर दिए। पिछले शनिवार को ही तहरीकुल मुजाहिदीन ने इस आशय के पोस्टर चस्पा किए थे जिन्हें बाद में उतार तो लिया गया था पर वे अपना असर जरूर छोड़ गए थे। जान बचाने की खातिर भाजपा का दामन छोड़ने वाले कश्मीर के भाजपा नेताओं के लिए दुखद स्थिति यह कही जा सकती है कि उनके इस्तीफों पर भाजपा के लोगों ने उन पर आरोप लगा दिए कि उन्होंने निजी स्वार्थों के लिए पार्टी ज्वायन की थी।