डॉ. जनक बनीं फिर देश का गौरव, सोलर कुकर्स इंटरनेशनल की 2020 तक रहेंगी ग्लोबल सलाहकार

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डॉ.  जनक पलटा मगिलिगन सोलर कुकर्स इंटरनेशनल की 2020 तक ग्लोबल सलाहकार 
 
यह पहली बार नहीं है कि जब डॉ. जनक पलटा मगिलिगन ने इंदौर शहर के साथ समूचे देश का नाम रोशन किया हो। समय-समय पर उनके खाते में स्वर्णिम उपलब्धियां जुड़ती रहीं है। इस बार अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उनका नाम एक बार फिर चमका है। ज्ञात रहे कि सेक्रामेंटो, अमेरिका में स्थित सोलर कुकर्स इंटरनेशनल के निदेशक मंडल ने डॉ श्रीमती जनक पलटा मगिलिगन को अपनी सलाहकार परिषद में 2017 तक ग्लोबल सलाहकार नियुक्त किया था। इस बार फिर उनके सोलर कुकर्स व सोलर कुकिंग के क्षेत्र में किए गए बहुमूल्य योगदान के मद्देनजर 2020 तक के लिए उन्हें ग्लोबल सलाहकार चुना है। 
 
सोलर कुकर इंटरनेशनल डॉयरेक्टर की एक्जक्यूटिव डायरेक्टर श्रीमती जूली ग्रीन व अध्यक्ष श्री जिम मूस ने उन्हें यह सम्मान नवाजते हुए लिखा है, 
 
“जनक पलटा मगिलिगन को विश्व स्तर पर सोलर कुकिंग आंदोलन में दिए गए अमूल्य योगदान के लिए, कई सालों से आदिवासी महिलाओं को सोलर कुकिंग सिखाने उन्हें सोलर कुकर के माध्यम से सक्षम करने के लिए तथा अनेक सोलर कुकिंग प्रोजेक्ट्स को सफलता पूर्वक सम्पन्न कराने के सुदीर्घ अनुभव को देखते हुए हम सोलर कुकर्स इंटरनेशनल की 2020 तक ग्लोबल सलाहकार नियुक्त करते हैं। 
 
जुलाई 2017 में डॉ. जनक को सोलर कुकर इंटरनेशनल सैक्रामेंटो, यू.एस. द्वारा एक उच्च स्तरीय राजनीतिक फोरम (High-Level Political Forum/ )एचएलपीएफ संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय, अमेरिका में भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए आमंत्रित किया गया था। एडवोकेसी टीम में एक 'ग्लोबल एडवाइजर' के रूप में शामिल होकर व वहां लौटकर डॉ. जनक ने अब तक वैकल्पिक ऊर्जा के प्रभावी संसाधन के रूप में सोलर कुकिंग को अपनाने की दिशा में पुरजोर प्रयास किए हैं।
 
विगत 33 वर्षों का सोलर कुकिंग के क्षेत्र में उनका अनुभव कहता है कि सोलर कुकिंग से ना सिर्फ जनस्वास्थ्य में सुधार की संभावना में वृद्धि हुई है  बल्कि इसके प्रभावी प्रयोग से वनों की कटाई में भी कमी आई है। वे मानती हैं कि लगातार इसके प्रयोग से कार्बन कम होगा। सोलर एनर्जी ही समय और मेहनत की बचत का सर्वश्रेष्ठ विकल्प है। डॉ. जनक ने अपने अभियान और जीवनशैली से अधिकाधिक लोगों को प्रशिक्षण देकर स्वरोजगार की दिशा में भी उत्साहजनक परिणाम प्राप्त किए गए हैं। लेकिन वे मानती हैं कि इस दिशा में और अधिक जागरूकता और शिक्षा का प्रसार किए जाने की आवश्यकता है। 

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