अदालत ने फैसले के मुख्य हिस्से को पढ़ते हुए कहा कि उपरोक्त परिस्थितियों में यह याचिका आधाररहित होने के कारण अनुकरणीय जुर्माने के साथ खारिज की जा सकती है और तदनुसार ऐसा किया जाता है। याचिकाकर्ता पर 50 लाख रुपए का जुर्माना लगाया जाता है, जो 45 दिनों के अंदर कर्नाटक राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, बेंगलुरु को देय है। यदि इसमें देरी की जाती है तो इस पर प्रति दिन 5,000 रुपए का अतिरिक्त शुल्क लगेगा।