मुख्यमंत्री ने लोगों के बीच शांति, एकता और सद्भाव का संदेश फैलाने की आवश्यकता पर आधारित अपनी एक कविता भी पढ़ी। उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि इस दिन एकता, शांति और सद्भाव बना रहे।
कार्यक्रम में उपस्थित एक गणमान्य हस्ती ने बांग्लादेश की मौजूदा स्थिति के बारे में बात की, लेकिन बनर्जी ने यह कहते हुए इससे दूरी बनाए रखी कि कि इस कार्यक्रम में किसी अन्य देश के बारे में चर्चा नहीं की जानी चाहिए। अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान (वर्तमान बांग्लादेश) में बांग्ला भाषा की मान्यता के लिए संघर्ष की याद दिलाता है।
उन्होंने कहा कि बांग्ला के अलावा उनकी सरकार राजबंशी, उर्दू, गोरखा और ओलचिकी जैसी भाषाओं को बढ़ावा देने के लिए काम कर रही है जिन्हें अब स्कूलों में पढ़ाया जाता है।(भाषा)