लंकेश भक्त मण्डल से जुड़े एडवोकेट ओमवीर सारस्वत, संजय सारस्वत आदि का कहना है कि हम वर्षों से रावण दहन का विरोध कर रहे हैं। इसके लिए शासन, प्रशासन व अदालत के स्तर पर भी आवाज उठाई गई है किंतु किसी ने हमारी मांग पर ध्यान नहीं दिया।
इसलिए यदि इस बार भी रावण का पुतला दहन किए जाने पर रोक नहीं लगाई गई और इस बार भी दशहरे पर जलाया गया तो निश्चित रूप से एनजीटी की शरण में जाना पड़ेगा। क्योंकि, यह मसला केवल धार्मिक भावनाओं को चोट पहुंचाने का ही नहीं, पर्यावरण प्रदूषण से भी जुड़ा हुआ है।
इन युवाओं का समर्थन करते हुए गोवर्धन के संत स्वामी अधोक्षजानन्द ने कहा, ‘रावण का पुतला जलाया जाना भारतीय संस्कृति के विरुद्ध है। यह सनातन हिन्दू संस्कृति का अपमान है। किसी को जलाया जाना उसका अंतिम संस्कार के समान है और हिन्दू संस्कृति में ऐसा केवल एक बार किया जाता है। किसी का बार-बार पुतला जलाया जाना उसका मखौल उड़ाने के समान है।'