शर्मिला ने कहा कि इतिहास को समझने के साथ सुविज्ञ और संतुलित भविष्य को देखने के लिए परंपराएं अहम भूमिका निभाती हैं लेकिन उर्दू जो भारतीय इतिहास का एक अभिन्न अंग है, कुछ ठहर-सी गई है। यह एक अल्पसंख्यक भाषा बनकर रह गई है, जो संभवत: सिर्फ मुसलमानों द्वारा ही बोली जा रही है।