कृष्णा चेतना की अंतरराष्ट्रीय संस्था जिसका मुख्यालय नाडिया जिले के मायापुर में है, ने कहा है कि पश्चिम बंगाल के बशीरहाट से चुनी गईं नुसरत के जैन परिवार में विवाह करके गैरमुस्लिम परंपरा को समर्थन दिया। इसके बाद उन्हें सोशल मीडिया पर ट्रोल किया गया और जिस तरह से उन्होंने तीखे जबाव दिए उससे संस्था बहुत प्रभावित है और इसे देखते हुए उन्हें रथयात्रा उत्सव में विशेष अतिथि के रुप में शामिल होने का निमंत्रण भेजा गया है।
निखिल जैन से विवाह के बाद संसद में शपथ लेने पहुंची नुसरत ने बंगाली साड़ी पहनी हुई थी। उनकी मांग में सिंदूर और गले में मंगलसूत्र था। उन्होंने सांसद के रूप में शपथ लेने के बाद ‘वंदे मातरम’ कहकर देश को नमन किया था। उनके इस रुख से कुछ मुस्लिम धार्मिक गुरुओं ने नाराजगी जताई और सोशल मीडिया पर भी उन्हें ट्रोल किया गया। इस्कॉन के प्रवक्ता राधारमण दास ने कहा कि नुसरत का रुख संस्था के विचारों से मेल खाता है।
स्थानीय मीडिया में दास के हवाले से कहा गया है कि नुसरत का रुख हमारे विचारों से मेल खता है। हम आध्यात्मिक संगठन होने के बावजूद न केवल कड़ाई से धार्मिकता का पालन करते हैं बल्कि भक्ति और वैष्णव आदर्शों को प्रेरित करते हैं। उन्होंने कहा कि विश्व भर में इस्कान के साथ सभी धर्मों में विश्वास रखने वाले लोग जुड़े हैं।