देहरादून। केदारनाथ यात्रा मार्ग में घोड़े-खच्चरों के संचालन को रोटेशन के आधार पर करने के निर्देश दिए गए हैं। रुद्रप्रयाग के जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने जिला पंचायत एवं जीमैक्स को केदारनाथ यात्रा मार्ग में अधिक संख्या में संचालित हो रहे घोड़े-खच्चरों के कारण पैदल चल रहे यात्रियों को किसी प्रकार की कोई परेशानी एवं असुविधा से बचाने को यह निर्देश दिए हैं।
अपर मुख्य अधिकारी जिला पंचायत राजेश कुमार के अनुसार एक दिन जनपद चमोली एवं रुद्रप्रयाग के घोड़े-खच्चरों का संचालन किया जाएगा तो दूसरे दिन रुद्रप्रयाग एवं उत्तरकाशी के घोड़े-खच्चर संचालित होंगे जबकि तीसरे दिन रुद्रप्रयाग एवं अन्य जनपदों से आए घोड़े-खच्चरों का संचालन किया जाएगा। यह रोटेशन क्रमवार चलता रहेगा ताकि यात्रा मार्ग में किसी प्रकार की कोई अव्यवस्था न हो तथा यात्रा सुव्यवस्थित ढंग से संचालित होती रहे।
उन्होंने यह भी अवगत कराया है कि यात्रा मार्ग में बिना पंजीकरण के संचालित हो रहे घोड़े-खच्चरों एवं हॉकरों का चेकिंग अभियान करते हुए चालान की कार्रवाई की जा रही है। उन्होंने कहा कि अब तक बिना रजिस्ट्रेशन के घोड़े-खच्चरों एवं हॉकरों पर कुल 136 चालान किए गए हैं जिससे 68 हजार रुपए का अर्थदंड वसूला गया है।
6.16 लाख ने किए दर्शन : बीती 3 मई से शुरू हुई चारधाम यात्रा में 2 हफ्ते में 6 लाख 16 हजार से ज्यादा श्रद्धालु चारों धामों के दर्शन कर चुके हैं। केदारनाथ में पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की संख्या सबसे ज्यादा है। केदारनाथ धाम में दर्शनों के लिए लंबी लाइन लग रही है। मंगलवार अपराह्न 4 बजे तक 2 लाख 14 हजार (2,14,923) तीर्थयात्री बाबा केदार का आशीर्वाद ले चुके हैं। बद्रीनाथ धाम में 8 मई से मंगलवार अपराह्न 4 बजे तक 1,78,705 यात्री दर्शन कर चुके हैं। गंगोत्री धाम में 3 मई से आज तक 1,22,325 और यमुनोत्री धाम में 1,00,527 श्रद्धालु दर्शन कर चुके हैं।
44 श्रद्धालुओं की मौत: अभी तक चारधाम यात्रा मार्गों में 44 श्रद्धालुओं की मौत भी हो चुकी है। अब तक सर्वाधिक मौतें केदारनाथ धाम में हुई हैं। यहां 18 श्रद्धालुओं की मौत हो चुकी है। यमुनोत्री धाम में 14 श्रद्धालुओं की मौत हुई है। बद्रीनाथ धाम में भी 8 यात्रियों की मौत हुई है। गंगोत्री धाम में 4 श्रद्धालुओं की मौत हुई है।
केदार धाम के लिए सर्वाधिक लगभग 18 किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है जबकि यमुनोत्री धाम के लिए 5 किलोमीटर पैदल चलना होता है। केदारनाथ धाम की यात्रा के लिए खड़ी चढ़ाई चढ़कर पहुंचा जाता है। हाई एल्टीट्यूड क्षेत्र में स्थित होने के चलते यहां ऑक्सीजन की प्रॉब्लम होने लगती है, ऐसे में हार्टअटैक जैसी समस्याओं के बढ़ने का डर बना रहता है।