अभियान से जुड़ीं स्त्री रोग विशेषज्ञ सुरभि सिंह ने बताया कि आमतौर पर मासिक धर्म के बारे में लड़कियों को उनकी मां से शिक्षा मिलती है, जो दुर्भाग्य से उन्हें शरीर की इस स्वाभाविक प्रक्रिया के बारे में अपने आसपास के अंधविश्वास, कलंक और भय को ही बताती हैं।
टीम का लक्ष्य उन आम सवालों के वैज्ञानिक कारणों को बताना है कि क्या दर्द के लिए दर्दनिवारक गोलियां ली जाएं या नहीं और माहवारी के दौरान अचार नहीं छूने या बाल धोने जैसी महिलाओं की उन मिथकों को भी तोड़ना है। लड़कियां इस प्रक्रिया के बारे में कितना जानती हैं इसे जानने के लिए सत्र के दौरान लड़कियों को एक प्रश्नावली दी जाएगी।
उन्होंने कहा कि उनसे कुछ मामूली से सवाल किए जाएंगे जैसे कि 'मासिक धर्म के बारे में उन्हें कैसे पता चला और क्या इस बारे में उन्हें पहले से बताया गया?' लड़कियों को इस दौरान सैनिटरी नैपकिन के इस्तेमाल और उसे समाप्त करने के तरीकों के बारे भी बताया जाएगा। अब तक इस तरह की शिक्षा कोंडली, लक्ष्मी नगर, कृष्णा नगर, पटपड़गंज, त्रिलोकपुरी, मदनपुर खादर, वजीरपुर और शकूर बस्ती जैसे झुग्गी-झोपड़ी इलाकों में दी गई है। (भाषा)