राहुल गांधी को सजा पर तेजस्वी यादव ने कहा- देश में अघोषित आपातकाल, जो बीजेपी के खिलाफ बोलेगा उसे फंसाया जाएगा

गुरुवार, 23 मार्च 2023 (22:13 IST)
पटना। बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने ‘मोदी उपनाम’ को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी को सजा सुनाए जाने पर गुरुवार को कहा कि केंद्र में सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का विरोध करने वाले सभी दलों को बिना देर किए एक होकर मजबूती के साथ लड़ाई लड़नी चाहिए।
 
राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नेता की पार्टी दो दशकों से कांग्रेस की सहयोगी रही है। तेजस्वी ने मानहानि के मामले में गुजरात की एक अदालत द्वारा गांधी को दोषी ठहराए जाने पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि ये डरने का नहीं, लड़ने का वक्त है। मैं अदालत के आदेश पर टिप्पणी नहीं करूंगा, लेकिन देश का हर नागरिक यह जान रहा है कि राहुल गांधी जी के साथ ऐसा क्यों हुआ।
 
उन्होंने अपने पिता और राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद का जिक्र करते हुए कहा कि वह (लालू प्रसाद) 2014 से कह रहे हैं कि देश एक अघोषित आपातकाल के दौर से गुजर रहा है जिसमें सभी लोग चाहे वे किसी भी राजनीतिक दल से हों और किसी भी पेशे में शामिल हों, अगर वे शासन की आलोचना करते हैं तो उन्हें उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है।
 
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) जैसी केंद्रीय एजेंसियों के राडार पर रहे युवा राजद नेता ने हालांकि दावा किया कि यह स्पष्ट हो रहा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 2024 के लोकसभा चुनाव का सामना करने की संभावनाओं से घबरा गए हैं।
 
तेजस्वी ने केंद्र में सत्तासीन भाजपा और उसके नेताओं पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि ये लोग महात्मा गांधी और बाबासाहेब भीम राव आंबेडकर की विरासत को नष्ट करने पर तुले हुए हैं। नोटबंदी एक बहुत बड़ा घोटाला था और अगर वह (मोदी) सत्ता में लौटते हैं तो लोकतंत्र और संविधान खत्म हो जाएगा तथा हम महात्मा गांधी के बजाय करेंसी नोटों पर उनकी तस्वीर देखेंगे।
 
राजद नेता ने आरोप लगाया कि अब हम राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ उस पैमाने पर प्रतिशोध देख रहे हैं जो कभी नहीं देखा गया है। इसी तरह की चिंता हाल में अखिलेश यादव ने व्यक्त की थी।
 
उन्होंने कहा कि आज के ही दिन भगत सिंह ने शहादत प्राप्त की थी। मैं महान क्रांतिकारी को श्रद्धांजलि देने में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ शामिल हुआ था। आज जो कुछ हो रहा है, उसे देखते हुए अब डरने का नहीं, लड़ने का वक्त है। भाषा

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