देहरादून। पश्चिमी हिमालयी क्षेत्र में पहली बार यूट्रिकुलेरिया फुरसेलटा नामक एक अत्यंत दुर्लभ मांसाहारी पौधे की प्रजाति पाई गई है।यह उत्तराखंड वन विभाग के लिए गौरव का क्षण है, क्योंकि यह उसकी पहली खोज है, जो प्रतिष्ठित पत्रिका में प्रकाशित हुई है।यह खोज उत्तराखंड में कीटभक्षी पौधों के एक परियोजना अध्ययन का हिस्सा थी।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने शनिवार को यह जानकारी दी। मुख्य वन संरक्षक (अनुसंधान) संजीव चतुर्वेदी ने कहा कि दुर्लभ प्रजातियों का पता उत्तराखंड वन विभाग के एक शोध दल ने चमोली जिले में स्थित सुरम्य मंडल घाटी में लगाया। उन्होंने कहा, यह न केवल उत्तराखंड में, बल्कि पूरे पश्चिमी हिमालयी क्षेत्र में पहली बार देखा गया है।
चतुर्वेदी ने कहा कि रेंज ऑफिसर हरीश नेगी और जूनियर रिसर्च फेलो मनोज सिंह की उत्तराखंड वन विभाग की टीम द्वारा की गई इस खोज को प्रतिष्ठित 'जर्नल ऑफ जापानीज बॉटनी' में प्रकाशित किया गया है, जो प्लांट टैक्सोनॉमी और वनस्पति विज्ञान पर 106 साल पुरानी पत्रिका है, जो इस क्षेत्र की उत्कृष्ट पत्रिका है।
उन्होंने कहा कि यह उत्तराखंड वन विभाग के लिए गौरव का क्षण है, क्योंकि यह उसकी पहली खोज है, जो प्रतिष्ठित पत्रिका में प्रकाशित हुई है। यह खोज उत्तराखंड में कीटभक्षी पौधों के एक परियोजना अध्ययन का हिस्सा थी।
चतुर्वेदी ने कहा कि यह मांसाहारी पौधा ऐसी प्रजाति का है, जिसे आमतौर पर ब्लैडरवॉर्ट्स के रूप में जाना जाता है। मांसाहारी पौधे ज्यादातर ताजे पानी और गीली मिट्टी में पाए जाते हैं। सामान्य पौधों की तुलना में भोजन और पोषण की व्यवस्था करने का उनका पूरी तरह से अलग तरीका है।(भाषा)