अब हाईकोर्ट ने पुलिस के शक्तिमान घोड़े की मौत के मामले में गृह सचिव को निर्देश दिए हैं कि वह याचिकाकर्ता के आवेदन का चार सप्ताह के भीतर निपटारा करें। याचिकाकर्ता ने मामले में देहरादून के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की कोर्ट से बरी हुए पांच आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने और इस केस से संबंधित सभी पत्रावलियां दिलाने का अनुरोध किया था।
झड़प के दौरान पुलिस के शक्तिमान घोड़े की टांग टूट गई थी। उसका पैर काटकर कृत्रिम पैर लगाया गया लेकिन उसकी जान नहीं बचाई जा सकी। पुलिस ने बलुआ करने के आरोप में गणेश जोशी, प्रमोद बोरा, जोगेंद्र सिंह पुंडीर, अभिषेक गौर और राहुल रावत के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया।
पुलिस ने इन पांचों आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। बाद में सरकार ने केस वापस लेने के लिए कोर्ट में दो बार प्रार्थना पत्र दिया लेकिन कोर्ट ने केस वापस लेने की अनुमति नहीं दी। कुछ समय बाद आरोपियों को जमानत मिल गई। 23 सितंबर 2021 को सीजेएम कोर्ट देहरादून ने इन पांचों आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया।
याचिकाकर्ता का कहना था कि आरोपियों ने पशु क्रूरता की है। निचली अदालत ने इन्हें सबूतों के अभाव में बरी किया जबकि इनके खिलाफ कई सबूत हैं। पुलिस की वीडियोग्राफी भी है। इसलिए इनके खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के लिए उन्हें सीजेएम कोर्ट देहरादून से केस की समस्त पत्रावलियां दिलाई जाएं। हाईकोर्ट में याचिका दायर करने से पहले उन्होंने पत्रावली देने के लिए सीजेएम कोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया था लेकिन उन्हें यह कहकर मना कर दिया गया कि वे इस केस में पक्षकार नहीं हैं।