सिरसा। सुशील कांडोई और उनके पड़ोसी हर रोज तड़के 4 बजे उठ जाते हैं। जानते हैं किसलिए? सेना के जवानों, अर्द्धसैनिक बलों, पुलिस और मीडियाकर्मियों के लिए नाश्ता तैयार करने की खातिर, जो सिरसा में डेरा सच्चा सौदा के मुख्यालय के निकट तैनात हैं। वैसे भी हरियाणा में सिरसा दानदाताओं के भूमि के रूप में पहचाना जाता है।
दिनभर लोगों का एक समूह मोटर बाइक, जिप्सी कारों और ट्रैक्टरों पर सवार होकर सुरक्षा बलों और सैन्यकर्मियों को नाश्ता, चाय, लस्सी और भोजन मुहैया करवाता है। डेरा मुख्यालय और आस-पास के इलाकों में कानून-व्यवस्था को कायम रखने के लिए सेना तैनात है और बृहस्पतिवार रात से ही यहां कर्फ्यू लगा हुआ है। ढाई लाख की आबादी वाले सिरसा विधानसभा क्षेत्र में करीब 120 सामाजिक संस्थाएं सामाजिक कार्य से जुड़ी हुई हैं।
दान करने का सिरसा का इतिहास रहा है। यहीं पर डबवाली मार्ग पर लोगों ने नेकी की दीवार बनाई है, जहां स्थानीय लोग अपनी ऐसी वस्तुएं रख जाते हैं जिनकी उन्हें अब जरूरत नहीं रही है ताकि जरूरतमंद लोग उनका इस्तेमाल कर सकें।
हाल में यहां रोटी बैंक भी शुरू हुआ है, जो दानदाताओं से खाद्य पदार्थ लेकर गरीबों के बीच वितरित करने के सिद्धांत पर चलता है। कांडोई ने बताया कि उनके समूह में 40 लोग हैं, जो सुरक्षाकर्मियों और मीडिया कर्मियों को चाय, नाश्ता, दोपहर और रात का भोजन मुहैया करवा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि हरियाणा में सिरसा को दानदाताओं की भूमि के रूप में पहचाना जाता है, जो मानवीयता में विश्वास रखते हैं इसलिए हमने सेना, अर्द्धसैनिक बलों, पुलिसकर्मियों तथा मीडियाकर्मियों को खानपान का सामान उपलब्ध करवाने का सोचा वह भी तब जब प्रशासन ने इलाके में कर्फ्यू लगा रखा है।