इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ये फैसला 2017 में बहुजन समाज पार्टी के नेता नवाब काजिम अली कि याचिका पर सुनाया है। काजिम ने दायर याचिका में कहा था कि वर्ष 2017 में चुनाव के वक्त अब्दुल्ला न्यूनतम निर्धारित उम्र 25 वर्ष के नहीं थे। चुनाव लड़ने के लिए उन्होंने फर्जी कागजात दाखिल किए थे और झूठा हलफनामा दाखिल किया था।
बसपा नेता की ओर से अब्दुल्ला आजम की 10वीं कक्षा की मार्कशीट के साथ कई अहम दस्तावेजों में दर्ज जन्मतिथि को आधार बनाया गया था और अब्दुल्ला पर फर्जी दस्तावेज लगाकर चुनाव लड़ने का आरोप लगाया गया था, जिसको लेकर हाई कोर्ट ने 27 सितंबर को फैसला सुरक्षित कर लिया था।