तिनका तिनका इंडिया अवार्ड जेलों में बंद कैदियों और जेल अधिकारियों के लिए देश के अपनी तरह के पहले अवार्ड हैं। इनका मकसद जेलों में सुधार और सृजनात्मकता को बढ़ावा देना है। इस साल का विषय है – जेलों में सपने। आवेदन भेजने की अंतिम तारीख 15 नवंबर है। इस साल इन पुरस्कारों के लिए तीन वर्ग रखे गए हैं- पेंटिंग, विशेष प्रतिभा और जेल अधिकारी।
2017 में इन पुरस्कारों को अजय कश्यप, आईपीएस, महानिदेशक, तिहाड़ ने तिहाड़ जेल में रिलीज किया था। 2017 में पेंटिंग और चित्रकारी में पहला पुरस्कार बिलासपुर जेल में कैदी भैशसिंह साहू को दिया गया। दूसरा पुरस्कार ममता को मिला। वहीं तीसरा पुरस्कार तेलंगाना जेल में बंद गौरीश को मिला।
विशेष पुरस्कारों की श्रेणी में तिहाड़ जेल के विनय, दूसरा गुजरात की जेल में बंद हरीश और तीसरा पुरस्कार पश्चिम बंगाल की सोना लामा को मिला। 2017 में तिनका तिनका इंडिया अवार्ड में जेलों में जीवन और स्वच्छ भारत अभियान छाये रहे। इन पुरस्कारों की वजह से जेलों में बंदियों के जीवन में कई बड़े बदलाव देखने में आए हैं।
वर्तिका नन्दा की स्थापित तिनका तिनका फाउंडेशन को बंदियों के लिए देश के पहले ख़ास सम्मानों - तिनका तिनका इंडिया अवार्ड्स और तिनका तिनका बंदिनी अवार्ड्स की शुरुआत का श्रेय जाता है। यह पुरस्कार हर साल राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस और महिला दिवस पर जेलों में सृजन कर रहे बंदियों को दिए जाते हैं। तिनका तिनका श्रृंखला के तहत तिनका तिनका तिहाड़ और तिनका तिनका डासना- यह दोनों किताबें काफी चर्चित रही हैं।
वर्तिका नन्दा देश की स्थापित जेल सुधारक हैं। तिनका तिनका - भारतीय जेलों पर शुरू की गई उनकी एक अनूठी श्रृंखला का नाम है। उऩके कामों को दो बार लिम्का बुक ऑफ़ रिकॉर्डस में शामिल किया जा चुका है। भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी उन्हें स्त्री शक्ति पुरस्कार प्रदान किया था। यह भारत की महिलाओं को दिया जाने वाला देश का सबसे बड़ा नागरिक सम्मान है।