त्र्यम्बकेश्वर देवस्थान की ट्रस्टी ललिता शिंदे ने बताया कि प्राचीन समय में कई शासकों ने इस बेशकीमती हीरे को कथित रूप से लूटा था और अब बताया जाता है कि इसे लेबनान के एक निजी संग्रहालय में रखा गया है। हीरा वापस लाने की मुहिम के तहत ललिता इससे पहले पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, केंद्रीय मंत्री सुषमा स्वराज और अन्य संबंधित विभागों को पत्र लिख चुकी हैं।
गुरुवार को उन्होंने दिल्ली स्थित राष्ट्रीय अभिलेखागार का दौरा किया और इसके पदाधिकारियों को ज्ञापन सौंपा। उन्होंने दावा किया कि नीले रंग के नसाक हीरे को भगवान शिव का नेत्र भी कहा जाता है। 43.38 कैरेट या 8,676 ग्राम का यह हीरा कोल्लूर के गोलकुंडा खान में मिला था और मूल रूप से इसे भारत में तराशा गया था। यह हीरा 15वीं सदी में त्र्यम्बकेश्वर शिव मंदिर में सुशोभित था।
उन्होंने कहा कि मैंने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और संबंधित मंत्रियों को पत्र लिखा लेकिन मुझे कोई जवाब नहीं मिला। इसलिए मैंने एनएआई से संपर्क करने का फैसला किया है। मेरी मांग यह है कि सरकार जितनी जल्दी संभव हो इस हीरे को लेबनान संग्रहालय से वापस लाए। उन्होंने इस क्षेत्र से संबद्ध विशेषज्ञों एवं इतिहासकारों को भी इस संबंध में रोशनी डालने का अनुरोध किया। (भाषा)