मेरठ। मेरठ नगर निगम बोर्ड की बैठक में एक मुस्लिम पार्षद द्वारा राष्ट्रगीत वंदेमातरम नहीं बोलने पर अड़े रहने के विवाद ने काफी तूल पकड़ लिया है। भाजपा से जुड़े महापौर ने इसे तौहीन मानते हुए वंदेमातरम का विरोध करने वाले पाषर्दों की सदस्यता समाप्त करने और ऐसे सदस्यों को सदन में नहीं बैठने का प्रस्ताव रखा, जिसे भाजपा के सदस्यों ने पास कर दिया। महापौर की इस कार्रवाई से विपक्ष भड़क उठा और उसने सदन का बहिष्कार कर दिया।
दरअसल इस विवाद की शुरुआत मंगलवार से हुई, जब नगर निगम बोर्ड की बैठक में वंदे मातरम बोले जाने को लेकर विपक्षी पार्षद बाहर चले गए थे। विपक्षी पार्षद शाहिद अब्बासी ने कहा कि हमें शक की नजरों से देखा जा रहा है जबकि हम देश के लिए अपनी जान भी कुर्बान करने से पीछे नहीं हटेंगे। उन्होंने वंदेमातरम पर स्थिति साफ करते हुए कहा कि हमने वंदेमातरम का विरोध नहीं किया है, हम तो अन्य लोगों की भावनाओं का आदर करते हुए उठकर चले आए थे।
विपक्षी पार्षदों द्वारा बैठकर से उठकर चले जाने के निर्णय को भाजपा महापौर हरिकांत अहलूवालिया ने गंभीरता से लिया और गुरुवार को कहा कि हम राष्ट्रगीत के अपमान को किसी भी कीमत पर सहन नहीं करेंगे। कल ही हमने इस तरह की हरकत करने वालों के खिलाफ उनकी सदस्यता निरस्त करने का प्रस्ताव रखा था, जिसे भाजपा सदस्यों ने पास कर दिया था। यह भी पता चला है कि मुस्लिम पार्षद किसी भी कीमत पर राष्ट्रगीत न बोलने पर अड़े हुए है।
मुस्लिम पार्षदों के अड़ियल रवैये पर महापौर अहलुवालिया ने सख्त रुख अख्तियार किया है। उन्होंने कहा कि हम अपने निर्णय से पीछे नहीं हटेंगे, इसके लिए हमें जेल भी जाना पड़ा तो जरूर जाएंगे। दूसरी तरफ पार्षद दीवानजी शरीफ और अरशद उल्ला ने कहा कि वंदेमातरम को हमारा मजहब स्वीकार नहीं करता इसलिए हमें पार्षद पद से इस्तीफा देना मंजूर है लेकिन वंदेमातरम नहीं बोलेंगे। इन पार्षदों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवहेलना की जा रही है, हम न्याय के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे। बहरहाल, वंदे मातरम के विवाद ने काफी तूल पकड़ लिया है और जल्दी थमने वाला नहीं है।