मुंबई। महाराष्ट्र में अंधेरी (पूर्व) विधानसभा सीट पर आगामी उपचुनाव का एक दिलचस्प पहलू यह होगा कि क्या कांग्रेस के वोट उसके और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के समर्थन वाले शिवसेना (उद्धव गुट) उम्मीदवार को हस्तांतरित होते हैं और क्या मुस्लिम मतदाता इसका समर्थन करते हैं।
राजनीतिक पर्यवेक्षकों ने कहा कि हालांकि उपचुनाव शिवसेना के लिए एक अग्निपरीक्षा है, लेकिन यह 1966 में बाल ठाकरे द्वारा स्थापित पार्टी के भविष्य के लिए निर्णायक कारक नहीं होगा। पर्यवेक्षकों का मानना है कि अगले कुछ महीनों में मुंबई नगर निकाय चुनाव के नतीजे उद्धव ठाकरे के लिए 'अंतिम परीक्षा' होंगे।
तीन नवंबर को होने वाला उपचुनाव 'शिवसेना उद्धव बालासाहेब ठाकरे' (एसएसयूबीटी) पार्टी और सत्तारूढ़ भाजपा एवं शिवसेना के एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले धड़े के गठबंधन के बीच सीधा मुकाबला होगा।
शिवसेना में विभाजन के बाद यह पहली चुनावी परीक्षा है। शिंदे गुट के बागी विधायकों के विरोध के कारण कुछ महीने पहले उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली सरकार गिर गई थी और निर्वाचन आयोग द्वारा मूल शिवसेना के धनुष और तीर चुनाव चिह्न को फ्रीज कर दिया गया था।
शिवसेना विधायक रमेश लटके की विधवा रुतुजा लटके राकांपा और कांग्रेस समर्थित एसएसयूबीटी की उम्मीदवार हैं। उनका सामना भाजपा के मुरजी पटेल से होगा, जिन्हें महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले गुट 'बालासाहेबांची शिवसेना' का समर्थन प्राप्त है। यह शिंदे गुट का नया नामकरण है।
शुक्रवार को दोनों उम्मीदवारों ने पर्चा दाखिल किया। वरिष्ठ पत्रकार और लेखक प्रकाश अकोलकर ने कहा कि अंधेरी उपचुनाव में यह देखा जाएगा कि क्या कांग्रेस के वोट शिवसेना को हस्तांतरित होंगे और क्या मुस्लिम मतदाता शिवसेना को वोट देंगे।
उन्होंने कहा कि असली शिवसेना होने का दावा करने वाले शिंदे गुट ने अंधेरी (पूर्व) सीट का समर्पण अपनी गठबंधन सहयोगी भाजपा को कर दिया है। यह सीट शिवसेना विधायक (रमेश लटके) की मृत्यु के बाद खाली हुई थी। हालांकि उपचुनाव शिवसेना (उद्धव ठाकरे) के लिए एक अग्निपरीक्षा है, लेकिन यह पार्टी के भविष्य के लिए निर्णायक कारक नहीं होगा।
अन्य राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि उपचुनाव निस्संदेह इस बात का संकेतक होगा कि उद्धव ठाकरे मतों को प्रभावित कर सकते हैं या नहीं। उन्होंने कहा कि मुंबई में शिवसेना में बड़े पैमाने पर विद्रोह और महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार के पतन के बाद के मतदाताओं के सामान्य मिजाज का अंदाज भी इसके नतीजों से लगाया जा सकता है। मतों की गिनती छह नवंबर को होगी।
शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस (एमवीए) के घटक हैं, जिसका गठन शिवसेना द्वारा 2019 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा के साथ दशकों पुराने संबंध तोड़े जाने के बाद हुआ था। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रत्नाकर महाजन ने कहा कि शिवसेना के प्रति वफादार मतदाताओं ने मराठी मानुष और हिंदुत्व की अस्पष्ट भावनात्मक अपील पर हमेशा मूल पार्टी का समर्थन किया। (भाषा)