मायावती ने BJP पर साधा निशाना, बोलीं- मैं राष्ट्रपति पद का प्रस्ताव कभी स्वीकार नहीं करूंगी

Webdunia
रविवार, 27 मार्च 2022 (20:04 IST)
लखनऊ। बहुजन समाज पार्टी (BSP) अध्यक्ष मायावती ने रविवार को कहा कि वे किसी भी पार्टी की ओर से मिले राष्ट्रपति पद के प्रस्ताव को कभी स्वीकार नहीं करेंगी। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा और आरएसएस ने उनके समर्थकों को गुमराह करने के लिए यह झूठा प्रचार किया था कि अगर उत्तरप्रदेश विधानसभा में भाजपा को जीतने दिया गया, तो उनकी बहनजी (मायावती) को राष्ट्रपति बनाया जाएगा।
 
पार्टी की विधानसभा चुनाव में पराजय के बाद बसपा प्रमुख मायावती रविवार को यहां पहली बार आयोजित पदाधिकारियों, प्रमुख कार्यकर्ताओं और पूर्व प्रत्याशियों की समीक्षा बैठक को संबोधित कर रही थीं। उत्तरप्रदेश में 4 बार की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने कहा कि चुनाव में बसपा को कमजोर करने के लिए भाजपा ने एक सोची-समझी साजिश के तहत काम किया।
 
मायावती ने कहा कि भाजपा ने अपने संगठन राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ (आरएसएस) के जरिए हमारे लोगों में यह गलत प्रचार कराया कि उप्र में बसपा की सरकार नहीं बनने पर हम आपकी बहनजी को देश का राष्ट्रपति बनवा देंगे, इसलिए आपको भाजपा को सत्ता में आने देना चाहिए।
 
मौजूदा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई को समाप्त हो रहा है और इससे पहले ही इस पद के लिए चुनाव होना है। बसपा मुख्‍यालय से जारी बयान के अनुसार उन्‍होंने कहा कि उनके लिए राष्ट्रपति बनना तो बहुत दूर की बात है, वे इस बारे में अपने सपने में भी नहीं सोच सकतीं।
 
बसपा प्रमुख ने कहा कि बहुत पहले ही मान्‍यवर कांशीराम ने उनका यह प्रस्ताव ठुकरा दिया था और मैं तो उनके पदचिह्नों पर चलने वाली उनकी मजबूत शिष्‍या हूं। उन्‍होंने सफाई दी कि जब उन्होंने (कांशीराम) यह पद स्वीकार नहीं किया तो भला फिर मैं कैसे यह पद स्वीकार कर सकती हूं? मायावती ने कहा कि वह अपनी पार्टी और आंदोलन के हित में कभी भी भाजपा या अन्य किसी पार्टी की ओर से राष्ट्रपति पद स्वीकार नहीं कर सकतीं।
उन्होंने कहा कि पार्टी के लोग ऐसी अफवाहों से गुमराह न हों। उन्होंने पार्टी का जनाधार बढ़ाने का अनुरोध किया। मायावती ने यह भी आरोप लगाया कि भाजपा ने गरीब वर्ग को रोजगार देने की बजाय थोड़ा मुफ्त राशन देकर उन्हें अपना गुलाम व लाचार बना दिया है, जिससे इनको बाहर निकालना है।
 
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि इन वर्गों के साथ-साथ दलितों में भी मेरी जाति (जाटव) को छोड़कर जो अन्‍य दलित जाति के लोग हैं, उन्‍हें भी इन पार्टियों के हिंदुत्व से बाहर निकालकर बसपा से जोड़ना है। बसपा प्रमुख ने अपनी जिंदगी का एक-एक पल पार्टी को समर्पित करने का ऐलान करते हुए कार्यकर्ताओं का आह्वान किया कि उत्‍तरप्रदेश में अपनी पार्टी (बसपा) को फिर से सत्ता में लाने के लिए कड़ा संघर्ष करना होगा।
 
उन्होंने यह भी दावा किया कि अब मुस्लिम समाज के लोग सपा को वोट देकर पछता रहे हैं। मायावती ने कहा कि यूपी में पार्टी को फिर से सत्ता में लाने के लिए कदम-कदम पर सभी को जातिवादी, पूंजीवादी व सामंतवादी ताकतों से काफी कड़े संघर्ष का सामना करना होगा। लेकिन इसके लिए अब उन्होंने फिर से कमर कस ली है।
 
उन्होंने कहा कि 'अब मेरा जीवन ही संघर्ष है और संघर्ष ही मेरा जीवन है, अर्थात अब मेरी जिंदगी का एक-एक पल पूरे देश में अपनी पार्टी को हर स्तर पर मजबूत बनाने पर ही लगेगा।' बसपा अध्यक्ष ने अति पिछड़े वर्गों, मुस्लिम व अन्‍य धार्मिक अल्पसंख्यकों तथा अगड़ी जातियों में खासकर गरीब, दुखी व पीड़ित लोगों को भी जोड़ने पर जोर दिया।
 
सात चरणों में हुए उत्‍तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की मतगणना 10 मार्च को हुई और प्रदेश की 403 सीट में बसपा को मात्र एक सीट पर जीत मिली। पिछले वर्ष 2017 के चुनाव में बसपा ने केवल 19 सीट पर जीत दर्ज की थी।
 
लेकिन इस बार चुनाव आने तक पार्टी के अधिकांश विधायक समाजवादी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए। 2007 में मायावती के नेतृत्व में उत्‍तरप्रदेश में बहुमत की सरकार बनाने वाली बसपा के लिए इस बार का चुनाव परिणाम बेहद निराशाजनक रहा है।
 
मायावती ने अपेक्षा के अनुरूप चुनाव में नतीजे नहीं आने पर रविवार को पार्टी की उच्‍च स्‍तरीय बैठक में आगे की रणनीति को लेकर दिशा निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि मुस्लिम समाज का एकतरफा वोट लेकर तथा दर्जनभर दलों व संगठनों के गठबंधन से चुनाव लड़ने के बावजूद सपा सत्ता में आने से काफी दूर रह गई है, ऐसे में सपा कभी भी सत्ता में वापस नहीं आ सकती है और ना ही यह पार्टी भाजपा को सत्ता में आने से रोक सकती है।
 
उन्होंने यह भी दावा किया कि अब मुस्लिम समाज के लोग सपा को वोट देकर पछता रहे हैं। उन्‍होंने नसीहत दी कि मुसलमानों की कमजोरी का सपा बार-बार फायदा उठा रही है, जिसे रोकने के लिए अब हमें इन भटके व दिशाहीन लोगों से कतई मुंह नहीं मोड़ना है। इनको सपा के शिकंजे से बाहर निकाल कर अपनी पार्टी में पुन: वापस लाने का प्रयास करना है।
 
मायावती ने अन्‍य सभी हिन्दू समाज को फिर से बसपा में 2007 की तरह कैडर के जरिए जोड़ने की जिम्मेदारी दी। उन्‍होंने कहा कि जब-जब बसपा मजबूत हुई है, तब-तब भाजपा कमजोर हुई है।

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