योगी सरकार ने कानपुर टेनरियों पर लिया यह बड़ा फैसला...

रविवार, 16 अप्रैल 2017 (11:52 IST)
नई दिल्ली। योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली उत्तरप्रदेश सरकार ने उन ब्रिटिशकालीन टेनरियों को स्थानांतरित करने का समर्थन किया है, जो विषैले अपशिष्ट पदार्थ उत्सर्जित कर उन्हें कानपुर की गंगा नदी के अंदर बहाती हैं।
 
उत्तरप्रदेश सरकार ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण को बताया है कि चमड़े की इन इकाइयों की स्थापना के लिए नए स्थान तलाशे जाने की प्रक्रिया विचाराधीन है और जल्द ही इनकी पहचान कर ली जाएगी। गौरतलब है कि ये टेनरियां गंगा नदी में प्रदूषण की मुख्य स्रोत हैं।
 
पिछले साल तत्कालीन अखिलेश यादव की सरकार ने 400 टेनरियों को हटाने के विचार का यह कहकर विरोध किया था कि जमीन की कमी के चलते इन टेनरियों को किसी और स्थान पर स्थानांतरित करना लगभग असंभव है। इन टेनरियों से 20 लाख से अधिक लोगों को रोजगार मिलता है।
 
इन टेनरियों को स्थानांतरित करने के समर्थन में योगी सरकार के फैसले को हरित पैनल के अध्यक्ष न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली एनजीटी की उच्च स्तरीय बैठक में बताया गया। एनजीटी प्रमुख को राज्य के पर्यावरण एवं वन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव ने सूचित किया कि कानपुर की जजमाउ बस्ती से इन टेनरियों को स्थानांतरित करने पर सिद्धांतत: निर्णय ले लिया गया है।
 
बैठक में 'स्वच्छ गंगा राष्ट्रीय मिशन' के अधिकारियों समेत अन्य पक्षकारों ने भी हिस्सा लिया था। वरिष्ठ अधिकारियों ने हरित पैनल को बताया कि उत्तरप्रदेश सरकार इस संबंध में नीतिगत फैसले ले रही है कि गंगा को प्रदूषित करने वाले सभी स्रोतों के साथ निश्चित आंकड़ा और सूचना के आधार पर व्यवहार किया जाना चाहिए।
 
इस फैसले का वकील एमसी मेहता ने समर्थन किया है। मेहता ने कहा कि अगर हम गंगा में फिर से जान डालना चाहते हैं तो इन टेनरियों को स्थानांतरित करना ही हमारे पास एकमात्र व्यावहारिक विकल्प है। रैमन मैगसेसे पुरस्कार प्राप्त 70 वर्षीय मेहता ने वर्ष 1985 में उच्चतम न्यायालय में गंगा नदी को स्वच्छ करने से संबद्ध एक जनहित याचिका दायर की थी। बहरहाल, वर्ष 2014 में शीर्ष अदालत ने मामला एनजीटी को स्थानांतरित कर दिया था।
 
पर्यावरणविद हिमांशु ठक्कर ने किसी नतीजे पर पहुंचना ठीक नहीं समझा और कहा कि ये टेनरियां केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा चिह्नित कई गंभीर प्रदूषक उद्योगों का एकमात्र पहलू हैं जबकि शराब, चीनी, पेपर और लुगदी जैसी अन्य इकाइयों से निकलने वाले अपशिष्ट पदार्थों पर भी गौर करने की आवश्यकता है। (भाषा)

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