पिछली 15 जुलाई को सूबे के सभी जिलाधिकारियों को भेजे गए पत्र के माध्यम से अपर मुख्य सचिव सदाकांत ने केंद्र के नियमों का हवाला देकर कहा है कि सांसद, विधायक अथवा विधान परिषद सदस्य से टोल टैक्स की वसूली न की जाए।
कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष सत्यदेव त्रिपाठी ने कहा कि सरकार एक तरफ वीआईपी संस्कृति समाप्त करने की बड़ी-बड़ी बातें कर रही है, इसके लिए सरकारी वाहनों से लाल व नीली बत्ती उतारी गई वहीं इस तरह के आदेश वीआईपी संस्कृति को बढ़ावा ही देंगे।
उन्होंने कहा कि सरकार के नए दिशा-निर्देश से टोल प्लाजा संचालकों की मुसीबतों में इजाफा होना तय है। अलग लेन सिर्फ एम्बुलेंस, दमकल समेत आपातकालीन सेवाओं में लगे अन्य वाहनों के लिए होनी चाहिए। राजनीतिज्ञों के वाहनों के लिए अलग लेन का कोई औचित्य नही है।
इस बीच प्राधिकरण के एक अधिकारी ने कहा कि सांसद और विधायक अधिकतर लाव-लश्कर के साथ चलते हैं। उनके वाहन के पीछे 4-5 लक्जरी वाहनों का काफिला होता है। सांसद विधायक के वाहन से टोल टैक्स नहीं लिया जाता, मगर नियमानुसार उनके साथ चल रहे अन्य वाहन चालकों से टोल टैक्स लेना जरूरी होता है जिसे देना उन्हें मंजूर नहीं होता। जब अलग लेन होगी तब यह समस्या और जटिल हो जाएगी। (वार्ता)