LOC क्रॉस कर आतंकी बनने जा रहे 5 युवक परिवारों को सौंपे

सुरेश एस डुग्गर

बुधवार, 29 जनवरी 2020 (22:51 IST)
जम्मू। जम्मू-कश्मीर पुलिस ने 1 महीने की काउंसलिंग के बाद उन 5 कश्मीरी युवकों को उनके परिवारों को सौंप दिया, जो पिछले महीने आतंकी बनने की खातिर सीमा पार जाकर आतंकवाद की ट्रेनिंग लेना चाहते थे और एलओसी को क्रॉस करने की कोशिश में थे।
 
पुलिस का कहना था कि भटके युवाओं को जम्मू-कश्मीर पुलिस मुख्य धारा में लाने का लगातार प्रयास कर रही है। इसी क्रम में अनंतनाग जिला पुलिस ने 5 युवाओं को बुधवार को उनके परिवार को सौंपा। ये युवा आतंकी संगठन में शामिल होने को जा रहे थे।
 
ये युवा कोकरनाग तहसील के सोफ और पंजगाम इलाके के रहने वाले थे। एएसपी अनंतनाग अल्ताफ अहमद खान ने बताया कि ये सभी युवा आतंकी संगठनों में शामिल होने जा रहे थे। जानकारी मिलते ही हमने इनको हिरासत में लिया। पूछताछ करने के दौरान इन्होंने स्वीकार किया कि ये सभी आतंक की ओर रुख करने जा रहे थे।
 
इस दौरान भटके युवाओं की काउंसलिंग की गई, साथ ही उनसे मुख्य धारा में लौटने की अपील की गई। जिस पर वे राजी हो गए। इसके साथ ही पुलिस ने बुधवार को सभी को उनके परिवार के सुपुर्द कर दिया। सभी परिवारों ने पुलिस को धन्यवाद दिया। उक्त युवाओं को उनके परिवार को सौंपने के दौरान एएसपी अनंतनाग, एसडीएम कोकरनाग, एसपी ऑपरेशंस सहित सुरक्षाबल मौजूद रहे।
 
याद रहे पिछले साल करीब 50 युवक आतंकवाद की राह को त्यागकर अपने घरों को तो वापस लौट आए थे, पर उनकी वापसी इन 5 युवकों की मानसिकता पर कोई प्रभाव नहीं डाल सकी थी, जो आतंकी बनने की खातिर एलओसी को पार करने उड़ी सेक्टर तक पहुंच गए थे।
 
अधिकारियों ने बताया कि आतंकी बनने के लिए घर से भागे पांचों किशोरों को स़ुरक्षाबलों ने समय रहते उत्तरी कश्मीर में एलओसी से सटे उड़ी सेक्टर में पिछले महीने के अंत में पकड़ लिया था।
 
जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम को लागू करने के बाद यह पहला मौका था, जब आतंकी बनने के लिए उस कश्मीर की तरफ जा रहे 5 किशोर एलओसी के पास पकड़े गए थे। इनकी आयु 14-15 साल है। ये उड़ी सेक्टर के रास्ते उस कश्मीर जा रहे थे और एलओसी से सटी सेना की एक चौकी तक पहुंच गए थे। इनके पास से सिर्फ कपड़े और खाने का कुछ सामान मिला था।
 
पुलिस से जुड़े लोगों के मुताबिक ये पांचों उड़ी कस्बे में एक होटल में थे। पूछताछ में इन्होंने बताया था कि उन्हें कहा गया था कि सड़क के रास्ते उड़ी चले जाएं। वहां एक पुल और एक दरिया है। अगर पुल से मौका नहीं मिला तो दरिया के रास्ते सीमा पार चले जाएं। उन्हें कोई नहीं रोकेगा।
 
याद रहे, पिछले साल नवंबर महीने में सेना की चिनार कोर ने 'ऑपरेशन मां' शुरू किया था। इस ऑपरेशन में चिनार कोर के जनरल ऑफिसर कमांडिंग के निर्देश पर घरों से गायब हो चुके युवाओं का पता लगाना और उनके परिजनों से संपर्क कर उन्हें वापस घर लाना था। पुलवामा हमले के बाद सेना ने घाटी में सभी माताओं से अपने बच्चों को वापस लौटने के लिए अपील करने को कहा था।
 
सेना ने कहा था कि मां एक बड़ी भूमिका में होती है और वे अपने बच्चों को वापस बुला सकती है। अगर ऐसा नहीं हुआ तो वे मारे जाएंगे। पिछले साल करीब 50 ऐसे युवा आतंकी संगठनों को छोड़कर वापस लौटे हैं। कई आतंकी आत्मसमर्पण करने के बाद पढ़ रहे हैं। कुछ अपने पिता का हाथ बंटा रहे हैं, तो कुछ खेतों में काम कर रहे हैं। पाकिस्तान का प्रयास रहता है कि ऐसे युवाओं को निशाना बनाए। ऐसे में इनकी पहचान छुपाई जाती है।

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