4. दखलअंदाजी : आज के दौर में जब कई बार लोग देर से शादी का निर्णय लेते हैं या देर से उनके जीवन में कोई साथी आता है तो ऐसे में ज्यादा संभावना है कि उन्हें अपने हिसाब से अकेले रहने की आदत हो चूकी होती है। और जब उनके जीवन में किसी साथी का प्रवेश होता है तो उन्हें खुशी तो बहुत होती है लेकिन उन्हें साथ रहना नहीं आ पाता। जीवन में साथी के होने का सीधा सा मतलब है कि लाइफ में कुछ हद तक एक दूसरे कि दखलअंदाजी तो होगी ही। हो भी क्यों न आखिर आपके तौर-तरीके, रहन-सहन, कहां आप ज्यादा खर्च कर देते हैं, किस तरह के लोगों व दोस्तों से आपका मिलना-झुलना रहता है इन सभी बातों का आपके साथी के जीवन पर भी सीधे तौर पर असर पड़ता है। लंबे समय तक रिश्ते में रहना है तो आपको खुशी से ये जायज दखलअंदाजी सहन करनी होगी। आखिर आप भी तो अपने साथी की ये सारी बाते पूछते होंगे?
5. इगो : हर रिश्ते में कभी कभी कुछ मतभेद होते हैं, फिर रूठना-मनाना होता है। क्या हर बार आपका साथी ही आपको मनाता है? यदि हां तो समझ जाइये कि यह काम लंबा चलने वाला नहीं है। रिश्ता बराबरी मांगता है। हर बार कोई एक साथी के मनाने का मतलब है कि आपको अपने साथी की फिक्र नहीं है न ही रिश्ते को बचाने की। आपकी ज़िद को आप अपने साथी से उपर रखते हैं। ऐसा है तो आपके इगो के चलते आप अकेले रह जाएंगे, संभल जाएं।